समय पर नहीं पहुंचती कचरा गाडिय़ां
गली-मोहल्लों से लेकर सार्वजनिक स्थल पर कचरे के ढेर होना आम बात है, लेकिन अब कचरा गाडिय़ां भी वार्डों में समय पर नहीं पहुंच रहीं हैं। साउथ सिविल लाइन हो या फिर लालबाग श्रीवास्तव कॉलोनी का एरिया। लोग दोपहर तक इंतजार करते हैं तब जाकर खुली ट्रैक्टर ट्रॉली पहुंचती है। इसका कारण निगम के अधिकारी खुद कचरा गाडिय़ां खराब होना बता रहे हैं। इसका नतीजा है कि लोग अब अपनी आदतें बिगाडकऱ फिर से घर के सामने कूड़े के ढेर लगाने लगे हैं।
सफाई खर्च: 20 करोड़ रुपए है सालाना
नगर निगम के स्वच्छता खर्च को देखा जाए तो स्वच्छता गाडिय़ों के डीजल, मेंटेनेस, अधिकारी-कर्मचारियों की तनख्वाह समेत अन्य व्यय को देखा जाए तो 20 करोड़ रुपए सालाना बजट है। इसका टैक्स भी निगम आम नागरिकों से समेकित कर के 180 रुपए में 60 रुपए सालाना बतौर लेता है। इसके अलावा स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर हर वर्ष भारत सरकार और राज्य शासन से अलग बजट आता है। इतना खर्च होने के बाद भी लोगों को यह मूलभूत सुविधाएं न मिलें तो यह लापरवाही और मनमानी है।
यह भी ध्यान देने योग्य
इस साल 2020 की शुरुआत में स्वच्छता सर्वेक्षण में हालत यह थी कि कहीं कचरा दिख जाता था तो तत्कालीन आयुक्त इच्छित गढ़पाले की फटकार के साथ कर्मचारी की तनख्वाह काट ली जाती थी,
पिछले साल 2019 में भी यह स्थिति बनी रही।
इनका कहना है
शहर में स्वच्छता की जहां से शिकायत आ रही है, उसका निराकरण कराया जाएगा। इसके साथ ही शहर भ्रमण कर इसका जायजा लिया जाएगा। -आरएस बाथम, सहायक आयुक्त नगर निगम