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Municipal Corporation: अधिकारी बदलते ही पटरी से उतरी सफाई व्यवस्था, हमसे छिन न जाए तमगा

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 07, 2020 05:51:30 pm

Submitted by:

prabha shankar

Municipal Corporation: ध्यान नहीं दे रहे निगम के अधिकारी-कर्मचारी, कचरा गाडिय़ों का इंतजार करते-करते लोग खुद घर के सामने लगा रहे हैं कचरे का ढेर
 

Cleaning system derailed as soon as the officer changes

Cleaning system derailed as soon as the officer changes

छिंदवाड़ा/ शीर्षक देखकर चौंक मत जाइए बल्कि अपने गली-मोहल्लों से लेकर सडक़ और सार्वजनिक स्थलों पर पड़े कचरे-कूड़े के ढेर और बजबजाती गंदगी को देखकर महसूस कीजिए। आखिर छह माह में ऐसा क्या हो गया कि देश के स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में 26वें स्थान पर आए शहर के सिस्टम में बदलाव आ गया। नगर निगम के जिममेदार अधिकारी-कर्मचारियों की कार्यशैली के ढीलेपन और लापरवाह पूर्ण रवैये से लोग गर्व की जगह शर्मसार होने पर आ गए।
सोमवार को पत्रिका टीम ने शहर में सुबह से शाम तक प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचकर सफाई व्यवस्था को नजदीक से देखा। पातालेश्वर शिव मंदिर में एक ओर पूजा-अर्चन हो रही थी तो दूसरी ओर नाले के नजदीक कचरे के ढेर से दुर्गंध उड़ रही थी। दूसरा नजारा मुख्य बस स्टैण्ड में सिटी बस कार्यालय के नजदीक दिखाई दिया, जहां कचरे का ढेर दोपहर चार बजे तक कचरा गाड़ी का इंतजार कर रहा था।
तीसरी जगह खुद नगर निगम की नक्षत्र वाटिका के पास दिखी, जहां कचरा बॉक्स ओवर फलो हो रहा था। आजाद चौक और पटेल मंगल भवन के पास भी कचरे के ढेर से कहीं न कहीं लापरवाही दिखाई दी। इसके अलावा पूरे शहर में कहीं न कहीं सफाई व्यवस्था में आई ये खामियां ढूंढने पर दिख ही जाएंगी।


समय पर नहीं पहुंचती कचरा गाडिय़ां

गली-मोहल्लों से लेकर सार्वजनिक स्थल पर कचरे के ढेर होना आम बात है, लेकिन अब कचरा गाडिय़ां भी वार्डों में समय पर नहीं पहुंच रहीं हैं। साउथ सिविल लाइन हो या फिर लालबाग श्रीवास्तव कॉलोनी का एरिया। लोग दोपहर तक इंतजार करते हैं तब जाकर खुली ट्रैक्टर ट्रॉली पहुंचती है। इसका कारण निगम के अधिकारी खुद कचरा गाडिय़ां खराब होना बता रहे हैं। इसका नतीजा है कि लोग अब अपनी आदतें बिगाडकऱ फिर से घर के सामने कूड़े के ढेर लगाने लगे हैं।

सफाई खर्च: 20 करोड़ रुपए है सालाना

नगर निगम के स्वच्छता खर्च को देखा जाए तो स्वच्छता गाडिय़ों के डीजल, मेंटेनेस, अधिकारी-कर्मचारियों की तनख्वाह समेत अन्य व्यय को देखा जाए तो 20 करोड़ रुपए सालाना बजट है। इसका टैक्स भी निगम आम नागरिकों से समेकित कर के 180 रुपए में 60 रुपए सालाना बतौर लेता है। इसके अलावा स्वच्छता सर्वेक्षण के नाम पर हर वर्ष भारत सरकार और राज्य शासन से अलग बजट आता है। इतना खर्च होने के बाद भी लोगों को यह मूलभूत सुविधाएं न मिलें तो यह लापरवाही और मनमानी है।

यह भी ध्यान देने योग्य

इस साल 2020 की शुरुआत में स्वच्छता सर्वेक्षण में हालत यह थी कि कहीं कचरा दिख जाता था तो तत्कालीन आयुक्त इच्छित गढ़पाले की फटकार के साथ कर्मचारी की तनख्वाह काट ली जाती थी,
पिछले साल 2019 में भी यह स्थिति बनी रही।

इनका कहना है
शहर में स्वच्छता की जहां से शिकायत आ रही है, उसका निराकरण कराया जाएगा। इसके साथ ही शहर भ्रमण कर इसका जायजा लिया जाएगा। -आरएस बाथम, सहायक आयुक्त नगर निगम

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