पहले भी हो चुकी है कार्रवाई
गौरतलब है कि इसके पहले वर्ष 2012 उरधन कोयला खदान में ओवर रिपोर्टिंग की शिकायत की जांच करने सीबीआइ ने कार्रवाई की थी। इसमें उरधन खदान में 40 हजार टन और छिंदा खदान के स्टॉक में 25 हजार टन कोयला कम मिला था जिसकी अनुमानित कीमत 11 करोड़ रुपए बताई गई थी। इसके बाद अधिकारियों के बंगले, निजी आवास सहित पटना, हैदराबाद तक दस्तावेज, नकदी, जेवरात जब्त किए गए थे।
इस मामले में तत्कालीन महाप्र्रबंधक पीसी तिवारी, उप क्षेत्रीय प्रबंधक यूपी सिंह, शंकर भगवान यादव, खान प्रबंधक करण कुमार, पी कोटेश्वर राव पर धारा 120 बी, 409 और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। इसी तरह शिवपुरी और सेठिया खदान में भी स्टॉक में कम कोयला मिलने पर तत्कालीन महाप्रबंधक स्वर्णकार सहित अधिकारियों पर सीबीआइ ने मामला दर्ज किया था। जमानत नहीं मिलने पर उन्हें जेल जाना पड़ा था। वर्तमान नेहरिया मामले में अभी जांच जारी है। कोयला स्टॉक कम मिलने पर अधिकारियो पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
गौरतलब है कि इसके पहले वर्ष 2012 उरधन कोयला खदान में ओवर रिपोर्टिंग की शिकायत की जांच करने सीबीआइ ने कार्रवाई की थी। इसमें उरधन खदान में 40 हजार टन और छिंदा खदान के स्टॉक में 25 हजार टन कोयला कम मिला था जिसकी अनुमानित कीमत 11 करोड़ रुपए बताई गई थी। इसके बाद अधिकारियों के बंगले, निजी आवास सहित पटना, हैदराबाद तक दस्तावेज, नकदी, जेवरात जब्त किए गए थे।
इस मामले में तत्कालीन महाप्र्रबंधक पीसी तिवारी, उप क्षेत्रीय प्रबंधक यूपी सिंह, शंकर भगवान यादव, खान प्रबंधक करण कुमार, पी कोटेश्वर राव पर धारा 120 बी, 409 और भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। इसी तरह शिवपुरी और सेठिया खदान में भी स्टॉक में कम कोयला मिलने पर तत्कालीन महाप्रबंधक स्वर्णकार सहित अधिकारियों पर सीबीआइ ने मामला दर्ज किया था। जमानत नहीं मिलने पर उन्हें जेल जाना पड़ा था। वर्तमान नेहरिया मामले में अभी जांच जारी है। कोयला स्टॉक कम मिलने पर अधिकारियो पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
ओवर रिपोर्टिंग यानी कम उत्पादन को छिपाना
घाटा और पुरानी खदानों से कम उत्पादन को छिपाने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा स्थानीय अधिकारियों पर उत्पादन अधिक करने या फिर कागजों में इसे बताने का दबाव बनाया जाता है। कम उत्पादन पर अधिकारियों की नाराजगी व कार्रवाई के भय से कोल स्टॉक को बढ़ाकर बताया जाता है। इसे ही ओवर रिपोर्टिंग कहा जाता है जिसे बाद में मैनेज कर लिया जाता है, लेकिन इस बीच विजिलेंस टीम की जांच से मामला उजागर हो जाता है।
घाटा और पुरानी खदानों से कम उत्पादन को छिपाने के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा स्थानीय अधिकारियों पर उत्पादन अधिक करने या फिर कागजों में इसे बताने का दबाव बनाया जाता है। कम उत्पादन पर अधिकारियों की नाराजगी व कार्रवाई के भय से कोल स्टॉक को बढ़ाकर बताया जाता है। इसे ही ओवर रिपोर्टिंग कहा जाता है जिसे बाद में मैनेज कर लिया जाता है, लेकिन इस बीच विजिलेंस टीम की जांच से मामला उजागर हो जाता है।
गड़बड़ी सामने आते ही कोल स्टॉक में आग
कोयला खदानों में स्टॉक की गड़बड़ी का मामला सामने आते ही कोल स्टॉक में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
कोल स्टॉक में आग लगने के बाद कई महीनों की कवायद के बाद आग पर काबू पाया जाता है
तब तक भारी मात्रा में कोयला जलकर नष्ट हो जाता है। वर्तमान में नेहरिया खदान के कोल स्टाक की जांच और मेजरमेंट किया जा रहा है।
कोयला खदानों में स्टॉक की गड़बड़ी का मामला सामने आते ही कोल स्टॉक में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।
कोल स्टॉक में आग लगने के बाद कई महीनों की कवायद के बाद आग पर काबू पाया जाता है
तब तक भारी मात्रा में कोयला जलकर नष्ट हो जाता है। वर्तमान में नेहरिया खदान के कोल स्टाक की जांच और मेजरमेंट किया जा रहा है।