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राजस्व के भुगतान पर संदेह, कोल इंडिया पर गिरी गाज

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 02, 2019 01:11:58 am

Submitted by:

prabha shankar

जबलपुर से आए क्षेत्रीय अधिकारी ने मोहन और झरना खदान का देखा उत्पादित कोयला

Coal mines inspection

Coal mines inspection

छिंदवाड़ा. वेकोलि की कोयला खदानों से मिलने वाली रॉयल्टी कम मिलने के संदेह में खनिज विभाग कोयले की ग्रेडिंग की जांच में दूसरे दिन भी जुटा नजर आया। जबलपुर से आए क्षेत्रीय अधिकारी संतोष पटले की अगुआई में दो खनिज निरीक्षकों की टीम ने मोहन ओपन कास्ट, अंडर ग्राउण्ड तथा झरना अंडर ग्राउण्ड खदान के सेम्पल लिए और इसकी बिक्री दर की जानकारी ली। इन सेम्पल की भोपाल लेबोरेटरी से जांच कराई जाएगी।
विभागीय जानकारी के अनुसार राज्य शासन द्वारा वेकोलि की कोयला खदानों में उत्पादित कोयले की ग्रेड और उसके बिक्री मूल्य की जानकारी मांगी गई है।
इस आधार पर विभागीय क्षेत्रीय अधिकारी ने एक दिन पहले इस टीम के साथ नेहरिया, माथनी, महादेवपुरी, विष्णुपुरी और सेठिया खदान की जांच कर कोयले के सेम्पल लिए थे।
दूसरे दिन मोहन और झरना खदानों के सेम्पल हासिल किए। इन खदानों के कोयले के ग्रेड को लेबोरेटरी टेस्ट किया जाएगा।

वेकोलि का ये है कोयला ग्रेड का दावा
खनिज विभाग के मुताबिक पेंच एरिया में जी-९ और १२ तथा कन्हान में जी-७, जी-१२, वॉशरी समेत अन्य कोयला का उत्पादन होता है। ग्रेड के आधार पर ही कोयले की दरें तय होती हंै। इन दरों के हिसाब से वेकोलि रॉयल्टी का भुगतान खनिज विभाग को करती आई है। छिंदवाड़ा जिले की खदानों से राज्य शासन को हर साल करीब ९० करोड़ रुपए की रॉयल्टी प्राप्त होती है। बताते हैं कि कोयले के ग्रेड को कम बताकर रॉयल्टी में कमी की शिकायतें खनिज विभाग को मिलती रहीं हैं। इसके आधार पर विभाग ने वेकोलि पर शिकंजा कसना शुरू किया है। इसके पहले खनिज और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने पर्यावरण नियमों समेत अन्य मामले में निरीक्षण कर नोटिस जारी
किया था।

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