ग्रामीणों की जान सांसत में
वनों के आसपास निवास करने वाले ग्रामीणों की आजीविका वनोपज पर निर्भर है। ग्रामीणों को वनोपज से आर्थिक संबल मिलता है। महुआ से होने वाली आमदनी से इनके घर का खर्च चलता है, लेकिन वन्यप्राणियों के सबसे ज्यादा शिकार महुआ बीनने वाले ग्रामीण होते हैं। वन विभाग समय-समय पर ग्रामीणों को सतर्क और जागरूक करता है। हिंसक वन्यप्राणियों के मूवमेंट की जानकारी भी देता है।
पानी की तलाश
भीषण गर्मी की वजह से वन क्षेत्रों के जलस्रोत सूख गए हैं। कहीं-कहीं कम मात्रा में पानी बचा हुआ है। पानी की तलाश में भी जंगली जानवर जंगल से बाहर आ रहे हैं। इसके अलावा वाइल्ड लाइफ में बढ़ोतरी हुई है। भोजन के लिए भी हिंसक वन्यप्राणी पालतू जानवरों का शिकार कर रहे हैं।
मुआवजा का प्रावधान
वन्यप्राणी के शिकार और हमला मामले में मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण की मौत होने पर परिजन को चार लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है। घायल होने पर निशुल्क इलाज कराने का प्रावधान है। 50 प्रतिशत तक अपंग होने पर दो लाख रुपए की सहायता दी जाती है। पशुहानि होने पर अधिकतम 30 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाता है।
वन वृत्त- जनहानि – जन घायल -पशुहानि
सिवनी – 4 -129 -1322
पेंच टाइगर रिजर्व -2 -5 -510
छिंदवाड़ा – 1 -36 -484
वाइल्ड लाइफ में बढ़ोतरी
पेंच टाइगर रिजर्व का क्षेत्र बालाघाट व छिंदवाड़ा से लगा हुआ है। जंगल में वाइल्ड लाइफ में बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में वन्यप्राणी पानी और भोजन की तलाश में बाहर आते हैं। इस वजह से जन एवं पशुहानि की स्थिति होती है। जंगल तक मानव का दखल भी बढ़ा है। पेंच टाइगर रिजर्व के साथ ही हमारी टीम समय-समय पर समितियों की बैठक लेकर जागरूक करती है।
– एसएस उद्दे, सीसीएफ सिवनी