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Corona : कोयलांचल में हडक़म्प, बंद होंगी कोयला खदानें

locationछिंदवाड़ाPublished: Apr 03, 2020 06:11:29 pm

कोरोना वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों में भूमिगत कोयला खदानों को बंद करने के आदेश से पेंच एवं कन्हान क्षेत्र में हडक़ंप मच गया है।

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छिंदवाड़ा/परासिया/ कोरोना वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों में भूमिगत कोयला खदानों को बंद करने के आदेश से पेंच एवं कन्हान क्षेत्र में हडक़ंप मच गया है। वहीं कोयला पर आधारित थर्मल पावर पर आधारित थर्मल पावर स्टेशन में विद्युत उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा।
केंद्र सरकार के खान सुरक्षा निदेशालय (डीजीएमएस) ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए उन भूमिगत कोयला खदानों को बंद करने का आदेश दिया है जो पूरी तरह मशीनीकृत नहीं हैं। डीजीएमएस के आदेश के बाद वेकोलि प्रबंधन ने ऐसी खदानों को चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया है। पेंच क्षेत्र में नेहरिया, माथनी, विष्णुपुरी तथा महादेवपुरी भूमिगत कोयला खदानें हैं तथा कन्हान में तांसी घोड़ावाडी और मोहन कॉलरी भूमिगत खदानें हैं जिनके डीजीएमएस के आदेश के दायरे में आने की संभावना है। आदेश में कहा गया कि वैसी भूमिगत खदानों में तुरंत काम बंद होना चाहिए जिनका संचालन सिर्फ कामगार कर रहे हैं। खदान में ड्रिल कर विस्फोटक भरने से लेकर उसे विस्फोट और फिर टूटे हुए कोयले को टुकड़े को ऊपर सतह पर भेजने का सारा काम जहां कर्मचारी कर रहे हैं, वहां तुरंत खनन कार्य बंद किया जाएगा। खदानों के उस हिस्से में भी कार्य बंद किया जाएगा जहां समूह में कार्य करना अनिवार्य हो और वहां पर एक-दूसरे से दूरी कायम रखना संभव नहीं है।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत खान सुरक्षा निदेशालय के डायरेक्टर जनरल ऑफ माइंस सेफ्टी सह चीफ इंस्पेक्टर ऑफ माइंस डीके साहू द्वारा निर्गत आदेश में कहा गया कि जो भूमिगत खदान मैकेनाइज्ड (मशीनीकृत) नहीं हैं, उन्हें तुरंत बंद किया जाना चाहिए। कोरोना से बचाव के लिए हर खदान के खान प्रबंधक को एसओपी (स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) बनाना होगा। कोरोना के संक्रमण को रोकने की योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए हर खान में व्यक्ति विशेष को जवाबदेही होनी चाहिए।
इन खदानों में रुकेगा काम
वो भूमिगत खदान जहां पूरी तरह मशीनीकरण नहीं हुआ है। विस्फोट से लेकर कोयला ढुलाई का काम कामगारों से लिया जाता है। खदान में वो जगह जहां शारीरिक दूरी बनाना संभव नहीं हो।
व्यवस्था के निर्देश: खदानों में सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सैनिटाइजर, साबुन एवं मास्क निशुल्क देना चाहिए। खदान के भीतर बहते पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि सभी लोग हाथों की सफाई कर सकें। खदान के लिफ्ट (डोली) में चढऩे वाले कर्मचारियों के बीच पर्याप्त दूरी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
तलाशा जाए विकल्प
इंटक के संयुक्त महामंत्री दीनानाथ यादव ने कहा कि आदेश का पालन करना प्रबंधन की बाध्यता है। डीजीएमएस, वेकोलि प्रबंधन तथा श्रम संगठन के पदाधिकारियों को मिलकर संयुक्त रूप से चर्चा कर वैकल्पिक रास्ता तलाशना होगा।
हालांकि केंद्र सरकार ने कोयला उद्योग को इमरजेंसी सेवा के अंतर्गत रखा है। कोयला उत्पादन में गिरावट आने से विद्युत उत्पादन में भी बहुत अधिक फर्क पड़ेगा।
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