वो भूमिगत खदान जहां पूरी तरह मशीनीकरण नहीं हुआ है। विस्फोट से लेकर कोयला ढुलाई का काम कामगारों से लिया जाता है। खदान में वो जगह जहां शारीरिक दूरी बनाना संभव नहीं हो।
व्यवस्था के निर्देश: खदानों में सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सैनिटाइजर, साबुन एवं मास्क निशुल्क देना चाहिए। खदान के भीतर बहते पानी की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि सभी लोग हाथों की सफाई कर सकें। खदान के लिफ्ट (डोली) में चढऩे वाले कर्मचारियों के बीच पर्याप्त दूरी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
तलाशा जाए विकल्प
इंटक के संयुक्त महामंत्री दीनानाथ यादव ने कहा कि आदेश का पालन करना प्रबंधन की बाध्यता है। डीजीएमएस, वेकोलि प्रबंधन तथा श्रम संगठन के पदाधिकारियों को मिलकर संयुक्त रूप से चर्चा कर वैकल्पिक रास्ता तलाशना होगा।
हालांकि केंद्र सरकार ने कोयला उद्योग को इमरजेंसी सेवा के अंतर्गत रखा है। कोयला उत्पादन में गिरावट आने से विद्युत उत्पादन में भी बहुत अधिक फर्क पड़ेगा।