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Corona curfew side effects: भाव न मिलने के गम में किसान, खेतों से नहीं तोड़ पा रहे सब्जियां

locationछिंदवाड़ाPublished: May 07, 2021 11:55:08 am

Submitted by:

prabha shankar

गुरैया सब्जी मंडी में उठाव न होने से हो रहा नुकसान

Corona curfew side effects

Corona curfew side effects

छिंदवाड़ा। कोरोना संक्रमण के चलते लगातार दूसरे साल सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को लॉक डाउन/कर्फ्यू की मार सहनी पड़ रही है। गुरैया सब्जी मण्डी में भाव न मिलने से कुछ किसान खेतों से सब्जियां नहीं तोड़ पा रहे हैं तो वहीं कुछ लागत न निकलने से वहीं खेतों के बाहर फेंकने को मजबूर हैं।
छिंदवाड़ा और मोहखेड़ ब्लॉक के ग्रामों को पूरे साल सब्जियों की खेती में अग्रणी माना जाता है। स्थानीय किसान न केवल शहर समेत जिले बल्कि नागपुर, रायपुर, अमरावती समेत महाराष्ट्र के कई शहरों की सब्जियों की जरूरतों को पूरा करते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल 2020 में भी 70 दिन के लॉकडाउन में किसानों को सब्जियों की खेती में भारी नुकसान सहना पड़ा था। उस समय किसानों ने दीनदयाल रसोई समेत गरीब-जरूरतमंदों के भोजन में ये सब्जियां दान की थी।
लगातार दूसरे साल 2021 में किसानों के समक्ष दोबारा यहीं स्थिति निर्मित हुई है। चांद के पास बादगांव के कुछ किसानों ने तो बाजार में भाव न मिलने पर ककड़ी उखाडकऱ बाहर फेंक दी। कुछ किसान दुखी हैं इसलिए वे खेतों से टमाटर, बैगन, गोभी नहीं तोड़ पा रहे हैं। उनकी लागत निकलना मुश्किल हो गई है। इस परिस्थिति में कुछ किसान आशावादी भी हैं, वे मोटर साइकिल में सब्जी लाकर गली-मोहल्लों में लाकर बेच रहे हैं। इससे उन्हें सीधा मुनाफा भी हो रहा है।

सब्जियां खराब करने से अच्छा है पड़ोसियों में बांट दो
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष और प्रगतिशील सब्जी उत्पादक किसान मेरसिंह चौधरी का खेत खुद पातालेश्वर मोक्षधाम रोड पर है। उनके खेत में लगे करीब 100 क्विंटल बैगन और गोभी टूट नहीं पाए क्योंकि बाजार में रेट नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में चौधरी की लागत नहीं निकल पा रही है। फिर भी वे सब्जियों को खराब करने के बजाय आसपास के लोगों को निशुल्क बांटने में लगे हैं। उनका कहना है कि कोरोना आपदा काल में किसानों को तुरंत पकने की स्थिति में आई सब्जियों के भाव नहीं मिले तो उन्हें आसपास के लोगों में बांट देना चाहिए या फिर ज्यादा होने पर दीनदयाल रसोई में दान देना चाहिए। चौधरी किसी भी स्थिति में सब्जियां खेतों के बाहर फेंक ने के खिलाफ हैं। उन्होंने किसानों को परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेने की सलाह दी है।

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