scriptCorona Effect: मुश्किल में शहर सरकार, विकास की रफ्तार पर लगा ब्रेक | Corona Effect: City government in trouble | Patrika News

Corona Effect: मुश्किल में शहर सरकार, विकास की रफ्तार पर लगा ब्रेक

locationछिंदवाड़ाPublished: Aug 14, 2020 05:19:23 pm

Submitted by:

prabha shankar

नगर निगम: बजट की दूसरी तिमाही में बढ़ा संकट, खर्च निकालना हुआ मुश्किल

nagar nigam

Municipal Corporation: Cuts in employees’ financial crisis

छिंदवाड़ा/ कोरोना संक्रमणकाल में प्रदेश स्तर पर चल रही बजट की समस्या से निर्धारित सरकारी अनुदान नगर निगम के खजाने में नहीं पहुंच रहा है। इससे शहर के विकास की रफ्तार पर ब्रेक लग गया। वहीं निगम की आय कम होने से डीजल, स्टाफ समेत अन्य खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है। इस माह अगस्त के पहले पखवाड़े में चुंगी क्षतिपूर्ति मद की राशि न आने से कर्मचारियों का वेतन तक अटक गया है।
बीते मार्च में कोरोना लॉकडाउन के बीच नगर निगम के वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट 444 करोड़ रुपए को मंजूरी मिली थी। तब यह अनुमान था कि कांग्रेस सरकार के समय स्वीकृत मिनी स्मार्ट सिटी समेत अन्य परियोजनाओं के लिए पर्याप्त अनुदान और बजट राज्य शासन से मिलेगा। सत्ता परिवर्तन के बाद करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चले गए। इसके साथ ही सडक़ मरम्मत, मूलभूत और वित्त आयोग की राशि भी मिलना कम हो गई। चुंगी क्षतिपूर्ति राशि में 40 लाख रुपए की कटौती भी होती रही। इसके अलावा लॉकडाउन से व्यापार-वाणिज्य प्रभावित होने से राजस्व टैक्स कलेक्शन भी कम हुआ। राज्य स्तर पर भी वित्तीय संकट होने की छाया निगम पर दिखाई दी। फिलहाल वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही जुलाई से लग गई है। निगम की आय कम और खर्च अधिक होने से वित्तीय हालात बिगड़ गए हैं।
चुंगी क्षतिपूर्ति न मिलने से नहीं हुआ वेतन
निगम को हर माह राज्य शासन से 1.21 करोड़ रुपए चुंगी क्षतिपूर्ति बतौर मिलते हैं। इसका उपयोग अधिकारी-कर्मचारियों के कुल वेतन 2.76 करोड़ रुपए के वेतन में होता है। इसके साथ ही निगम को स्थानीय सकल राजस्व टैक्स का हिस्सा भी मिलाना होता है। इस माह शासन से यह अनुदान नहीं पहुंचा। इस पर टैक्स कलेक्शन भी कम हुआ है। इससे वेतन करने में समस्या आ रही है। इस माह त्योहार होने से कर्मचारी चिंतिंत हैं।
इस वर्ष मिली थी 444 करोड़ के बजट को मंजूरी
मार्च के अंतिम दिनों में निगम के वित्तीय वर्ष 2020-21 के 444 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी तत्कालीन निगम प्रशासक बतौर कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने दी थी। यह बजट समाप्त वित्त वर्ष 2019-20 के 287 करोड़ रुपए के बजट के मुकाबले 157 करोड़ रुपए अधिक था। बजट में शहर में पिछले साल 2019 में मंजूर मिनी स्मार्ट सिटी में पार्क, सडक़, चौराहा, जेल बगीचा विकास, अमृत योजना के तहत माचागोरा डैम के पानी को 24 गांवों में पहुंचाने, मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास के अधीन 35 करोड़ रुपए की सडक़ों की मंजूरी, प्रधानमंत्री आवास बीएलसी घटक, शहर पार्किंग के साथ कर्मचारियों के वेतन-भत्ते का भी प्रावधान किया गया था।
सडक़ों के टेंडर निरस्त स्मार्ट सिटी ठंडे बस्ते में
अब तक सीएम अधिसंरचना मद की सडक़ों के टेंडर निरस्त हो गए वहीं मिनी स्मार्ट सिटी का बजट नहीं आया। केवल पीएम आवास में हितग्राहियों के लिए 35 करोड़ रुपए आए। अभी वित्त वर्ष के छह माह शेष है, फिर भी विकास की रफ्तार के लिए पर्याप्त बजट मिलेगा, इसकी सम्भावनाएं कोरोना संक्रमण को देखते हुए कम ही नजर आ रही है।
इनका कहना है
नगर निगम में सरकारी अनुदान न मिल पाने से वित्तीय स्थिति पर असर पड़ा है। इसका कारण कोरोना संक्रमणकाल भी है। आने वाले समय में निगम की स्थिति सुधरने की आशा है।
हिमांशु सिंह, आयुक्त नगर निगम।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो