नगर निगम ने 192 कॉलोनाइजरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दस्तावेज जुटाने और पुलिस को सौंपने की बात तो कही है, लेकिन अभी तक केवल 19 कॉलोनाइजरों के ही दस्तावेज पुलिस के हाथ लगे हैं। सबसे रोचक बात यह है कि पुलिस ने नगर निगम से 13 पत्राचार किए हैं जिसके उपरांत उन्होंने बड़ी मुश्किल से 19 नामों की सूची और दस्तावेज सौंपे। सबसे रोचक बात यह है कि 192 कॉलोनाइजरों के खिलाफ कार्रवाई की सूची वर्ष 2015 से 2017 तक तैयार हुई है। वर्ष 2017 से आज तक की स्थिति में 5 वर्ष बीत चुके हैं। जबकि वर्ष 2015 से अभी तक 7 वर्ष बीत गए। इन वर्षों में निगम केवल कॉलोनाइजरों को धौंस देते आ रहा है। निगम ने दिलचस्पी नहीं दिखाई नहीं तो पहले ही अपराध दर्ज हो चुके होते और अभी भी केवल 19 नाम और दस्तावेज पेश करना उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है।
क्या है अवैध कॉलोनी और प्लाट
अवैध कॉलोनी और प्लॉट कैसे होते हैं एक बार इसे भी समझ लेते हैं। सबसे पहले तो यह कि कॉलोनी या फिर प्लॉट बेचने वाले का लाइसेंस यानि वह कॉलोनाइजर के रूप में रजिस्र्ड होना चाहिए। रजिस्ट्रेशन कलेक्ट्रेट से जारी होता है। जिस स्थान पर प्लॉट काटे जा रहे या फिर कॉलोनी बनाई जा रही है वह जमीन कृषि भूमि बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए। भूमि का डायवर्सन होना चाहिए साथ ही विकास की अनुमति भी लेनी होगी। पर्यावरणीय स्वीकृति भी आवश्यक है। बेचे जाने वाले प्लॉट या फिर कॉलोनी निर्माण कर मकान बेचने के लिए निर्धारित मापदंड में कॉलोनी के भीतर सड़कें, रोशनी, पानी, गंदे पानी के ट्रिटमेंट प्लांट का होना अनिवार्य है। उक्त सभी बिन्दुओं का पालन नहीं किया गया तब प्लॉट और कॉलोनी अवैध कहलाती है।