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छिंदवाड़ा

कमलनाथ ने ठंडे बस्ते में डाल दिया शिवराज का यह ‘सपना’

भारियाओं के लिए नहीं बन सका सांस्कृतिक केंद्र भवन

छिंदवाड़ाMay 10, 2019 / 12:59 am

prabha shankar

Could Not Build Cultural Center Building

Could Not Build Cultural Center Building

छिंदवाड़ा. पातालकोट के भारियाओं के लिए जिला मुख्यालय में छह करोड़ रुपए की लागत से भारिया सांस्कृतिक केंद्र जरूर स्वीकृत किया गया, लेकिन सात माह होने के बाद भी निर्माण की दिशा में कदम नहीं उठाए गए हैं। जनजातीय विभाग द्वारा इसके निर्माण की जिम्मेदारी संस्कृति विभाग को सौंपी गई थी, लेकिन सरकार बदलते ही अधिकारियों ने इस फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
पिछले साल 2018 में छह अप्रैल को पातालकोट के रातेड़ में आयोजित एक सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस सांस्कृतिक केंद्र की घोषणा की थी। उसके बाद राज्य शासन द्वारा इस केंद्र के लिए छह करोड़ रुपए मंजूर किए गए। इसके बाद सिवनी प्राणमोती में राजस्व विभाग से इसकी जमीन की तलाश भी करवाई गई। जनजातीय कार्य विभाग ने संस्कृति विभाग को इस केंद्र के निर्माण की जिम्मेदारी भी सौंप दी। उसके बाद विधानसभा चुनाव होने पर सरकार बदली तो विभागीय अधिकारियों ने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट से पल्ला झाड़ लिया। इस भवन का निर्माण समय पर शुरू हो जाता तो कम से कम पातालकोट से जिला मुख्यालय किसी काम से आने वाले भारियाओं को ठौर ठिकाना मिल जाता। इसके साथ ही उनकी विरासत, जीवन शैली और संस्कृति से सम्बंधित सामग्री का प्रदर्शन भी होने लगता। विभागीय उदासीनता से ऐसा नहीं हो सका।
पातालकोट से जुड़ी भारिया विकास प्राधिकरण की पूर्व अध्यक्ष उर्मिला भारती कहती हैं कि भारिया सांस्कृतिक केंद्र पातालकोट के रहवासियों का सपना था। उसे पूरा करने के लिए उन्होंने इसकी मंजूरी कराई और सिवनी प्राणमोती में जमीन भी चयनित की। विधानसभा चुनाव के बाद सरकार का परिदृश्य बदल जाने से यह सांस्कृतिक केंद्र ठंडे बस्ते में चला गया है। भारती का कहना है कि इस भवन के बन जाने से पूरे भारिया समाज को फायदा मिलता। इसके लिए इस सरकार में भी पहल होना चाहिए।

छिंदवाड़ा में एकलव्य विद्यालय का था प्रस्ताव
भारिया व आदिवासियों के बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए छिंदवाड़ा शहर में एकलव्य विद्यालय के लिए भी प्रयास किए गए थे। इसका प्रस्ताव भी तैयार किया गया था। इस विद्यालय के खुल जाने पर प्रतिस्पर्धी माहौल में शिक्षा दी जा सकती थी। बताया जाता है कि इस विद्यालय को तामिया में खुलवाने के प्रयास चल रहे हैं। भारती का कहना है कि जिला मुख्यालय में यह विद्यालय खुलने से बच्चों का भविष्य उज्जवल होता।

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