scriptCourage: साइकल से 1500 किमी यात्रा कर लौटा अभिषेक, दर्शन करने की थी चाह | Courage: Abhishek returned after traveling 1500 km | Patrika News

Courage: साइकल से 1500 किमी यात्रा कर लौटा अभिषेक, दर्शन करने की थी चाह

locationछिंदवाड़ाPublished: Jan 09, 2021 03:01:34 pm

Submitted by:

ashish mishra

बालाजी मंदिर दर्शन के लिए निकल गए।

Courage: साइकल से 1500 किमी यात्रा कर लौटा अभिषेक, दर्शन करने की थी चाह

Courage: साइकल से 1500 किमी यात्रा कर लौटा अभिषेक, दर्शन करने की थी चाह


छिंदवाड़ा. कहते हैं जहां चाह वहां राह। भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा हो तो फिर हर मुश्किल काम आसान हो जाता है। पुराना चांद नाका, सोनपूर रोड निवासी 24 वर्षीय अभिषेक बाड़बुदे साइकल से अकेले ही छिंदवाड़ा से तिरुपति बालाजी मंदिर दर्शन के लिए निकल गए। 1500 किमी की यात्रा पूरी की और भगवान के दर्शन करने के बाद गुरुवार दोपहर छिंदवाड़ा लौटे। उनका बालाजी सेवा समिति, श्री रामलीला मंडल, छोटीबाजार, बड़ी माता मंदिर समिति ने स्वागत किया। अभिषेक ने बताया कि वह काफी समय से साइकल से तिरुपति बालाजी मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते थे। वह एक फर्नीचर की दुकान में काम करते हैं। उन्होंने परिजन एवं दुकान के मालिक से जाने की इच्छा जताई। अभिषेक की श्रद्धा देखकर किसी ने उन्हें मना नहीं किया। इसके बाद 19 दिसंबर 2020 की दोपहर एक बजे अभिषेक छिंदवाड़ा से साइकल से तिरुपति बालाजी मंदिर दर्शन के लिए निकले और 28 दिसंबर की शाम बालाजी मंदिर पहुंच गए। अभिषेक ने बताया कि रास्ते में उन्हें कोई रुकावट नहीं हुई। हर धर्म के लोगों ने आगे बढकऱ उनकी भगवान के प्रति श्रद्धा देखकर मदद की। हालांकि अभिषेक जब बालाजी मंदिर पहुंचे तो टिकट बुकिंग न होने से उन्हें भगवान के दर्शन नहीं हो पाए। इसके बाद वे साइकल से ही 127 किमी दूर वेल्लोरे निकल गए। अभिषेक ने बताया कि वापस लौटने पर उन्हें किसी की मदद से 5 जनवरी को तिरुपति बालाजी के दर्शन हुए इसके बाद वे हैदराबाद और नागपुर तक बस से आए। 6 जनवरी की रात नागपुर पहुंचने पर उन्होंने वहां विश्राम किया और फिर 7 जनवरी की सुबह चार बजे साइकल से ही नागपुर से छिंदवाड़ा के लिए निकले और दोपहर एक बजे पहुंचे।
दिन में चलाते थे साइकल, रात में करते थे विश्राम
अभिषेक ने बताया कि साइकल से छिंदवाड़ा से तिरुपति बालाजी तक जाने में उन्हें कोई समस्या नहीं हुई। वह सुबह 4 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक साइकल से यात्रा करते थे। इसके बाद शाम को जहां जगह मिल जाती वहीं विश्राम करते और फिर अगले दिन सुबह फिर से यात्रा पर निकल जाते थे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो