संतोष भट्ट वर्ष 2007 से सिंडीकेट बैंक, मुख्य शाखा छिंदवाड़ा में एजेंट के रूप में कार्य कर रहा था। वह बैंक के खाताधारकों के घर और दुकान से प्रतिदिन डोर टू डोर राशि वसूल करता था तथा बैंक से अधिकृत पिग्मी मशीन (हेंड हेल्ड मशीन) साथ में रखकर डोर टू डोर राशि वसूल करता था। सिंडीकेट बैंक द्वारा एक एजेंट को एक ही मशीन अधिकृत थी, किन्तु आरोपी संतोष वर्ष 2017 में बैंक के पूर्व एजेंट अश्विनी वाडिवा की जमा की हुई मशीन को किसी प्रकार से अनाधिकृत रूप से हासिल कर अपने उपयोग में ला रहा था। खाताधारक सौरभ सूर्यवंशी ने सिंडीकेट बैंक में पिग्मी खाता खुलवाया था जिसमें वह प्रतिदिन 7 सौ रुपए एजेंट के पास जमा करता था। साथ ही उसकी रसीद भी लेता था। बैंक में रुपए जमा हो रहे हैं या नहीं इसकी जानकारी जुटाने पर उसे पता चला कि राशि बैंक में जमा नहीं हो रही है। वर्ष 2016-2017 में पिग्मी एजेंट रहते हुए अवैध रूप से पिग्मी मशीन का उपयोग कर बैंक के खाताधारकों के घर व दुकान जाकर राशि वसूल की, किन्तु 51 लाख 4 हजार 934 रुपए की राशि बैंक में जमा न कर फरियादी प्रशांत पांडे, अर्नव पांडे, भूमिका पांडे, प्रमोद भसीन, राजीव भसीन, प्रशांत पांडे, सुमित भसीन, अशीष भसीन, अमन भसीन, प्रताप कुमार साहू, सौरभ सूर्यवंशी सहित लगभग 122 खाताधारकों के न्यस्त की गई सम्पत्ति का आपराधिक न्यासभंग कारित किया है।
जमा करनी होगी पूरी राशि
न्यायालय ने आरोपी को आठ वर्ष की सजा सुनाने के साथ ही 51 लाख 5 हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है। आरोपी ने खाताधारकों की इतनी ही राशि का गबन किया था। आरोपी संतोष को न्यायालय ने धारा 409 के तहत सजा सुनाई है। प्रकरण में शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक सुनील सिंधिया ने पैरवी की।