दरअसल, हाईवे के निर्माण और मरम्मत की जिम्मेदारी तीन विभागों में बांटी गई है। नगर निगम क्षेत्र का हाईवे निगम के पास, इमलीखेड़ा से लिंगा बायपास तक पीडब्ल्यूडी के पास और लिंगा बायपास से महाराष्ट्र की सीमा तक एनएचएआई के हवाले है। एनएचएआई अपने हिस्से का मरम्मत कार्य करा रहा है। पीडब्ल्यूडी के हिस्से के हाईवे में दरार आई है।
2011 में मिली थी स्वीकृति
नरसिंहपुर से नागपुर तक 267 किलोमीटर लंबे नेशनल हाईवे की स्वीकृति वर्ष 2011 में मिली थी। तत्कालीन केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने हाईवे की सौगात दी थी। नरसिंहपुर-नागपुर, सिवनी-छिंदवाड़ा-मुलताई नेशनल हाईवे और रिंग रोड के निर्माण पर 1600 करोड़ रुपए की लागत आई थी। वर्ष 2014-15 में निर्माण कार्य पूरा हुआ था।
सात साल बाद मरम्मत
सात साल बाद छिंदवाड़ा से गुजरने वाले हाईवे की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत की गई है। केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 400 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। तीनों हाईवे की मरम्मत के लिए हरियाणा की निर्माण एजेंसी को ठेका दिया गया है। यह एजेंसी नागपुर और नरसिंहपुर रोड पर काम कर रही है।
होते हैं हादसे
सडक़ में लंबी दरारें होने की वजह से बायपास पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। रात में सडक़ की दरारें दिखाई नहीं देती हैं। ऐसे में वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है।
– राकेश राऊत, निवासी, लिंगा
पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर
निर्माण कार्य पूरा होने के बाद लिंगा बायपास से इमलीखेड़ा तक का हाईवे पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर कर दिया गया था। उक्त हाईवे के देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है।
– विपिन मंगला, परियोजना निदेशक, एनएचएआई, छिंदवाड़ा
निविदा बुलाई है
बजट की कमी के कारण परेशानी आ रही थी। बजट स्वीकृत हो गया है। निविदा की प्रक्रिया जारी है। शीघ्र ही मरम्मत कार्य कराया जाएगा। दरारें क्यों आई हैं, इसकी जांच कराई जाएगी।
– आसिफ मंडल, कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी, छिंदवाड़ा