कोयलांचल पर गहराया संकट
छिंदवाड़ाPublished: Sep 18, 2023 06:25:55 pm
कोयलांचल में कोयला खदानों के बंद होने की सुगबुगाहट से एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। पेंच एवं कन्हान में बूढ़ी होती खदान और उनका बढ़ता घाटा पहले से ही चिंता का सबब रहा है। वहीं प्रबंधन की लापरवाही से वन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र में देरी, सुरक्षा नियमों की अनदेखी से चार महत्वपूर्ण कोयला खदानों में उत्पादन ठप हो गया है। इससे लगभग एक हजार 700 कामगारों को स्थानांतरण का सामना करना पड़ सकता है।


छिंदवाड़ा/ परासिया. कोयलांचल में कोयला खदानों के बंद होने की सुगबुगाहट से एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। पेंच एवं कन्हान में बूढ़ी होती खदान और उनका बढ़ता घाटा पहले से ही चिंता का सबब रहा है। वहीं प्रबंधन की लापरवाही से वन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र में देरी, सुरक्षा नियमों की अनदेखी से चार महत्वपूर्ण कोयला खदानों में उत्पादन ठप हो गया है। इससे लगभग एक हजार 700 कामगारों को स्थानांतरण का सामना करना पड़ सकता है। वहीं क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियां तथा रोजगार पर बुरा असर पड़ेगा। fवभिन्न कारणों से चार कोयला खदानों में उत्पादन बंद है। सैकड़ों कर्मचारियों को बिना कार्य वेतन देना पड़ रहा है। पेंच क्षेत्र में सबसे अधिक कोयला
उत्पादन करने वाली उरधन ओपन कास्ट खदान 28 जुलाई से बंद है। 80 कर्मचारियों वाले इस खदान को डिप्टी डायरेक्टर माइंस सेफ्टी ने कोयला उत्खनन के दौरान की जाने वाली लापरवाही को सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए बंद कर दिया। जिन अधिकारियों की लापरवाही से खदान में उत्पादन बंद करने की नौबत आई उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। पेंच की दूसरी महत्वपूर्ण भूमिगत खदान महादेवपुरी का मेनपावर 379 है। उसमें वन विभाग की आपत्ति के कारण पिछले एक माह से अधिक समय से उत्पादन बंद है। यहां पर अधिकारियों ने नियम विरुद्व उत्खनन कार्य किया है। कन्हान में सबसे अधिक मंहगा कोयला उत्पादन करने वाली तांसी खदान में 727 कामगार कार्यरत हंै। उसे भी वन विभाग की आपत्ति के चलते बंद करना पड़ा। इसी तरह 510 कामगारों वाली मोहन कॉलरी भी वन विभाग की आपत्ति के कारण बंद कर दी गई है। पेंच एवं कन्हान क्षेत्र में बंद होती कोयला खदानों की तुलना में नई खदानें नहीं खुल पा रही हंै। बढ़ता घाटा और कम उत्पादन ने प्रबंधन की चिंता बढ़ा दी है। वहीं प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने और नई भर्ती नहीं होने से कोयलांचल की आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है। कोयलांचल में खदानों का शुरू होना और बंद होना हमेशा राजनीतिक मुद्दा रहा है । राजनीतिक दल सुविधानुसार इसका उपयोग भी करते रहे हैं। पेंच में पिछले दस वर्षों में ठेसगोरा, गणपति, सेठिया, विष्णुपुरी एक तथा भाजीपानी, बरकुही इकलेहरा ओपन कास्ट खदान बंद हुई है। जबकि 31 अगस्त 2015 को जमुनिया पठार खदान का कार्य शुरू हुआ ,लेकिन भूगर्भीय स्थिति के कारण पिछले कई वर्षो से डिफ्टिंग का कार्य बंद -चालू होता रहा है। शिवपुरी तथा छिंदा ओपनकास्ट खदान में उत्पादन विभिन्न कारणों से बंद है। कन्हान क्षेत्र में वर्तमान में शारदा खदान संचालित है। यहां पिछले 11 वर्षों में भवानी इंकलाइन, घोडावाडी बंद हो गयी है। वहीं वेकोलि की महत्वपूर्ण परियोजना कोल वाशरी पिछले चार वर्षों से बंद है।