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यहां अतिक्रमण का जाल, विकास की अधूरी दास्तां बनी चुनावी मुद्दा

locationछिंदवाड़ाPublished: Nov 11, 2018 12:02:35 am

Submitted by:

Rajendra Sharma

पांढुर्ना विधानसभा क्षेत्र में पानी की गम्भीर समस्या

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छिंदवाड़ा/पांढुर्ना. सुबह का समय बैतूल रोड पर रोज की तरह चहल-पहल है। लोग अपने कामकाज में व्यस्त। आधे भाग में संतरे के बगीचे दिख रहे हैं तो शहर के शुरू होते ही आवासीय बड़े भवन शहर के बड़े होने का संकेत दे रहे हैं। एेसा क्यूं? पता चला सरकार ने नगर के इस हिस्से को अनुसूचित क्षेत्र में दर्ज कर लिया है जिससे किसान अपनी खेती को बेच नहीं सकते हंै न उसका अन्य किसी कार्य के लिए उपयोग कर सकते हैं। एक जगह कटी प्लाटिंग दिखाई देने पर किसानों ने बताया कि शहर की आबादी बढऩे के कारण कुछ लोग इस ओर कॉलोनियां काट रहे हैं। ये बात और है कि ये प्लाट बिना अनुमति के कटे हैं यानी आवासीय बस्तियां जो बन रही हैं वे अवैध हैं। शहर में यह सब हो रहा है लेकिन कार्यवाही अब तक तो नहीं हुई है जबकि यह काम लंबे समय से चल रहा है। थोड़े आगे चलने पर शहर का जय स्तंभ चौक आता है यहां पर दुकानों के साथ ही लोग अपनी बातों में व्यस्त हैं। मिस्त्री का काम करने वाले प्रकाश से बातचीत की गई तो उसने बताया कि वो महंगाई के कारण परेशान है। शहर के अंदर जाने पर दिखा कि सडक़ों पर अतिक्रमण पसरा है। कार्यवाही नहीं होती क्या इनके खिलाफ? लोगों का कहना पड़ा कि न तो ये समझ रहे हैं न प्रशासन कड़ाई दिखा रहा है। आगे तीन शेर चौक पर भी अतिक्रमण है, लेकिन रोजमर्रा के ठेले और खोमचे वालों का।
बड़ा चौराहा यहां कुछ फिट का रह गया है। यही से एक ओर महाराष्ट्र के वरूड़ को जाने वाली सडक़ अलग हो रही है जिस पर बड़ी संख्या में ऑटो खड़े हंै और यात्री धूप में खड़े होकर अपनी बस की राह देख रहे हंै। सडक़ किनारे ट्रकों का जमावड़ा यहां के यातायात की समस्या को बयान कर रहा है। आगे चलने पर रेलवे फाटक पर वाहनों की लंबी कतारों से लोग जूझते हुए नजर आए। बात करने पर राहुल नाम के युवा ने बताया कि कई बार सर्वे होने के बावजूद अब तक रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण नहीं किया गया है। यहां से लौटें तो रास्ते में शहर का सरकारी अस्पताल मिलता है। यहां मरीज डॉक्टरों की राह देख रहे हैं। पता चला कि अस्पताल में सिर्फ तीन डॉक्टर हैं। नर्सिंग स्टाफ तो है लेकिन डॉक्टर नहीं है जो हैं वे भी समय पर नहीं पहुंचते।
पता चला शहर में १०० बिस्तर का अस्पताल बन रहा है। लोगों को आस है कि इसके बाद शायद हालात सुधर जाए। तीन शेर चौक से नागपुर रोड की तरफ जाएं तो लंबी सडक़ें विकास होने का दावा करतीं नजर आईं लेकिन सडक़ के पास नालियों का काम अधूरा पड़ा मिलता है। स्टेशन रोड जरूर चकाचक है। रेलवे स्टेशन को देखकर शहरवासी जरूर खुश होते हैं।
प्रमुख समस्याएं

शहर में बेहाल होता यातायात और सडक़ों के किनारे पसरा अतिक्रमण।
साफ-सफाई का अभाव, पेयजल की समस्या से ग्रस्त है शहर।
उद्योग, व्यापार में भारी मंदी का आलम है इन दिनों पांढुर्ना में।
दुनिया भर में प्रसिद्ध संतरे की खेती पर खतरा, रकबा कम हुआ।
व्यापार से संबंधित कोई नया प्रोजेक्ट नहीं, पहले किए वादे पूरे नहीं।
राजनीति में अब त्रिकोणीय संघर्ष

किसी समय यह क्षेत्र जिले की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा। नागपुर से सटा होने के कारण राजनीतिक गतिविधियों के लिए जिले का मुख्य स्थल पांढुर्ना ही रहा है। बावजूद इसके आजादी के बाद यहां का विकास जिस तरह होना चाहिए था वह नहीं हुआ। यहां पर कांग्रेस और भाजपा चुनाव में हमेशा ही आमने सामने रही हैं, लेकिन कुछ समय से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने संघर्ष को त्रिकोणीय बना दिया है। कांग्रेस अपनी लड़ाई आदिवासियों के दम पर अधिक लड़ती आई है, लेकिन गोंगपा के आने से अब शहर और बहुत बड़े वर्ग से जुड़ा कुनबी समाज निर्णायक भूमिका में रहने लगा है। भाजपा पवार समाज को अपना अधिक हितैषी मानती है।
‘जीवन दायिनी’ सूखी

शहर के अंदर से ब्राम्हनी होकर गोटमार मेला स्थल पर जाने का मार्ग है। यहां जाम नदी है, जो इन दिनों सूखा मैदान बन गई है। पानी की यहां गंभीर समस्या बन रही है। शहर को पानी पिलाने वाला जूनेवानी जलाशय इस बार कम बारिश के कारण सिर्फ 40 प्रतिशत भरा है। ये सबे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को दर्शाता है।
आमजन के मुद्दे

महिलाओं के बीच प्रमुख मूद्दा पानी है। महंगाई घर काबजट बिगाड़ रही है। युवा रोजगार और स्थानीय संसाधनों के लिए भटक रहे हैं। क्षेत्र उपजाउ है लेकिन कृषि से जुड़े व्यापार विकसित नहीं हो पा रहे हैं। नौकरी और शिक्षा के लिए महाराष्ट्र की आेर ज्यादातर परिवारों को ताकना पड़ रहा है।
नेता भूले अपना वादा

2008 के चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 55 करोड़ रुपए की लागत से पेयजल संकट खत्म करने जलाशय बनाने की घोषणा की थी जिसके बाद जनता ने रामराव कवड़ेती को सर्वाधिक वोटों से जीताया था। इसके बाद हुए नगर पालिका चुनाव में भी भाजपा की प्रत्याशी मीनाक्षी खुरसंगे को जनता ने जिताया, लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा धरी की धरी ही रही। 2013 में जनता ने अपना रुख साफ किया और भाजपा को हरवा दिया। पिछले साल हुए नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा।

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