गांवों में बनें सरोवर तो दूर हो जाएगी पेयजल की किल्लत
समाजसेवियों ने की ग्राम सरोवर प्राधिकरण के गठन की मांग

छिंदवाड़ा/ पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल 29 फरवरी को जब छिंदवाड़ा में जबलपुर और नर्मदापुरम् सम्भाग के छह जिलों के ग्रामीण विकास अधिकारियों की बैठक ली। उनका ध्यान गांवों की पेयजल व्यवस्था पर दिलाया गया। कहा गया कि वे अपनी घोषणा के मुताबिक ग्राम सरोवर प्राधिकरण का गठन कर दें, तब ही इस सामान्य समस्या से निपटा जा सकता है। यह सुझाव प्रमुख समाजसेवियों और पर्यावरणविदों ने दिया है। उनके मुताबिक प्रदेश में छिंदवाड़ा क्षेत्रफल के नजरिए से सबसे बड़ा जिला है। यहांं नर्मदा एवं बैनगंगा नदियों का जलग्रहण क्षेत्र है। दूधी, दुधेर, शक्कर, सीतारेवा, हरद, तवा, देनवा, दांतफारू नदियां नर्मदा में जाकर मिलती हैं तो वहीं पेंच, कन्हान और जाम, कुलबेहरा और बोदरी नदी बैनगंगा में मिलती हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने प्रदेश के विकास के लिए ग्राम सरोवर विकास प्राधिकरण बनाने की घोषणा की है। इस स्थिति में छिंदवाड़ा में भी काम किया जा सकता है। समाजसेवी रविंद्र सिंह समेत अन्य ने मंत्री का ध्यान दिलाते हुए सुझावों को लागू करने की मांग की।
पंचायत मंत्री को दिए ये सुझाव
1. जिले में 806 पंचायतें, 11 जनपद पंचायत एवं 26 जिला पंचायत क्षेत्र हैं। नवगठित ग्राम सरोवर विकास प्राधिकरण का विस्तार कर प्रत्येक पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत क्षेत्र में समितियों का गठन किया जाए। जिसमें सात अशासकीय सदस्य एवं छह शासकीय सदस्यों को रखा जाए।
2. प्राधिकरण में मनरेगा, विधायक, सांसद, आदिवासी विकास निधि, ग्रामीण विकास, पीएचइ, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई विभाग, वन विभाग के बजट का 30 प्रतिशत राशि सरोवर बनाने में खर्च की जाए।
3. मनरेगा के माध्यम से पांच एकड़ तक के किसानों की निजी भूमि पर मेढ़ बंधान, कपिलधारा कुआं , निर्मल नीर एवं खेत सरोवर बनवाए जाएं। इसी मद से अधिक से अधिक स्टॉपडैम , एनीकट व भूमि संरक्षण के रोक बांध व पत्थर बोल्डर के चैकडैम बनाए जाएं।
4. उद्यानिकी हब बनाने किसानों के खेतों एवं मेड़ों पर नींबू, संतरा, अमरूद, सीताफल, पपीता, सहजन, आम, जामुन, आचार (चिंरौजी), महुआ, हर्रा, बहेड़ा, आंवला, करंज, इमली, नीम के बहुउपयोगी, बहुवर्षीय वृक्ष लगाए जाएं।
5. मनरेगा से तार, खम्भे एवं सीमेंट व चैनलिंक फेंसिंग खरीदी पर रोक लगाएं। पौधरोपण की सुरक्षा पत्थर की दीवार या पशु अवरोधक खंती बड़ी साइज की बनाकर कराई जाए।
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