गुफा में प्रवेश करते ही किसी अदभुत लोक में पहुंचने का अहसास होने लगता है।
छिंदवाड़ा•Feb 25, 2020 / 11:23 pm•
arun garhewal
प्राचीन प्राकृतिक गुफा में उमड़ा भक्तों का सैलाब
छिंदवाड़ा. रामाकोना. सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में बसे छिन्दवाड़ा जि़ले को प्रकृति ने अपनी अनुपम सौगातों से नवाजा है। सौसर तहसील के विकासखंड बिछुआ में प्राकृतिक सम्पदा से परिपूर्ण राघादेवी न केवल प्राचीन धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है बल्कि यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं भी छिपी हुई है। राघादेवी के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित गुफा मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। गुफा में प्रवेश करते ही किसी अदभुत लोक में पहुंचने का अहसास होने लगता है।
राघादेवी देवस्थल पहुंचने का मार्ग: नागपुर-छिन्दवाड़ा मार्ग पर रामाकोना से पूर्व में 17 किमी दूरी पर स्थित है रामाकोना से होते हुए देवी, बड़ोसा, लोहागी, से सीधे राघादेवी शिवालय पहुंचता है राघादेवी पहुंचने से पहले बिसाला के समीप पश्चिम वाहिनी पवित्र नदी बहती है नदी को छोटा भेड़ाघाट के नाम से जाना जाता है। इस नदी पर पंचधारा का पानी एक कुंड में एकत्रित होकर निरंतर बहता रहता है इस कुंड की विशेषता यह है कि नदी का प्रवाह कम होने पर भी कुंड में पानी का स्तर वर्षभर एक समान रहता है। यहां पर बहता झरना एवं पचधारा का मनोरम दृश्य लोगों का मनमोह लेता है। पचधारा कुंड से लगभग 1 किमी की दूरी पर यहां भोले नाथ की प्राकृतिक प्राचीन गुफा है।
गुफा के द्वार पर विशाल पाखड़ के वृक्ष की जड़ों के बीच नीचे की और रास्ता नजर आता है द्वार पर दो लोहे की सीढिय़ां है। इस गुफा के के इतिहास के बारे में किवंदती है कि जब भस्मासुर ने वरदान प्राप्त करने के बाद शंकरजी के पीछे ही दौड़े थे जिससे बचने शिवजी इस गुफा में आकर बैठे थे। आज भी यहां पर शिवलिंग स्थित है। पूरी गुफा में अनेक स्थानों पर देवी देवताओं की आकृतियां उभरी दिखाई देती है। हर वर्ष महाशिवरात्रि के समय यहां पांच दिवसीय मेला लगता है। इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते है।