दुर्गम राह अब हुई आसान
मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम मछेरा तक का सफर अब आसान हो गया है। आदिवासी अंचल के इस गांव के लिए पहले कच्ची सडक़ तक नहीं थी। ‘पत्रिका’ ने गांव तक सडक़ निर्माण का मुद्दा उठाया व लगातार खबरों का प्रकाशन कर ग्रामीणों की पीड़ा प्रशासन के सामने रखी। आखिरकार प्रशासन चेता और गांव तक पक्की सडक़ का निर्माण करा दिया गया। यहां के ग्रामीण पहले करीब चार किलोमीटर की दूरी पहाडिय़ों के रास्ते तय करते थे। यहां रास्ता इतना खराब था कि दोपहिया वाहन भी चलाना मुश्किल हो जाता था।
छिंदवाड़ा
Published: May 16, 2022 10:22:34 pm
छिन्दवाड़ा/अम्बामाली. मोहखेड़ विकासखंड के ग्राम मछेरा तक का सफर अब आसान हो गया है। आदिवासी अंचल के इस गांव के लिए पहले कच्ची सडक़ तक नहीं थी। ‘पत्रिका’ ने गांव तक सडक़ निर्माण का मुद्दा उठाया व लगातार खबरों का प्रकाशन कर ग्रामीणों की पीड़ा प्रशासन के सामने रखी। आखिरकार प्रशासन चेता और गांव तक पक्की सडक़ का निर्माण करा दिया गया। यहां के ग्रामीण पहले करीब चार किलोमीटर की दूरी पहाडिय़ों के रास्ते तय करते थे। यहां रास्ता इतना खराब था कि दोपहिया वाहन भी चलाना मुश्किल हो जाता था। किसी गम्भीर मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं पहुंच पाती थी। और यह रास्ता उस समय और तकलीफ देह हो जाता जब किसी रोगी या गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाना पड़ता। ग्रामीण चारपाई पर रोगी को लेकर 8 किलोमीटर दूर छिंदवाड़ा बैतूल हाईवे पर आते यहां से उन्हें वाहन मिलता था। इसी तरह पास के गांव-कस्बों में स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में भी पथरीला रास्ता बाधक बना हुआ था। ग्राम पंचायत मछेरा के ग्रामीणों ने रोड नहीं होने और अन्य समस्याओं को लेकर विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार किया था। ग्रामीण पहले सडक़ फिर मतदान की बात पर अड़ गए थे। गली मोहल्ले में पोस्टर लगा दिया था रोड नहीं तो वोट नहीं। जिसके बाद प्रशासन को खबर लगने पर प्रशासनिक टीम मछेरा गांव पहुंची और ग्रामीणों को समझाइश दी। काफी मानमनोव्वल और सडक़ स्वीकृति के आश्वासन के बाद मतदान प्रक्रिया पूरी हुई थी। इसके बाद प्रशासन ने सडक़ निर्माण के लिए प्रक्रिया तेजी से पूरी की। पहाडिय़ों के बीच पगडंडी नुमा रास्ता होने की वजह से यहां दोपहिया वाहन भी नहीं आ जा सकता था। अब यहां 2 करोड़ 96 लाख 28 हजार रुपए की राशि से सडक़ का निर्माण तो हो गया है पर अभी भी पानी व अन्य मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है।
ग्रामीणों ने भी अपने तौर पर संघर्ष किया। विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने की भी चेतावनी दी थी।

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