छिंदवाड़ा. अहिंसा स्थली गोलगंज स्थित आदिनाथ जिनालय में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से सिद्धचक्र महामंडल विधान की मंगल आराधना चल रही है जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं सिद्ध परमेष्ठी भगवंतों का गुणगान कर अलग-अलग अघ्र्य समर्पित करते हुए धर्म आराधना कर रहें हैं। शहर के जिनालयों में सिद्धचक्र विधान और रत्नात्रय विधान संपन्न किए जा रहे हैं। इस मौके पर प्रवचन भी चल रहे हैं। बाल ब्रह्मचारी पं महेंद्र शास्त्री ने कहा कि सूखे कपड़े पर साबुन रगडऩे से कपड़ा साफ नहीं होता अपितु फट जाता है। पत्थर पर या खराब भूमि पर हल चलाकर बीज बोने से वृक्ष नहीं ऊगता अपितु बीज नष्ट हो जाता है। पाने को जीवन भर बिलोने अर्थात मथने से कभी मक्खन नहीं निकलता अपितु मथानी ही टूट जाती है उसी प्रकार दुष्ट, हटा गृही, अन्याय, अनीति, अभक्ष्य का सेवन करने वाले कठोर हृदयी व्यक्ति के ह्रदय में कभी भी जिनवाणी का प्रवेश नहीं होता। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बालक दर्पण को देखकर उससे खेलता है और समझदार पुरुष दर्पण को देखकर अपने चेहरे पर लगी कालिमा यर्थात गंदगी को दूर कर स्वच्छ और सुंदर बन जाता है उसी प्रकार वीतरागी देव, गुरु, धर्म की संगति से ज्ञानी भव्य जीव अपने अज्ञान को दूर कर संसार सागर से तिरकर मोक्ष सुख को प्राप्त करते हैं।
सिंगोड़ी जिनालय में हुआ रत्नात्रय विधान सिंगोड़ी में भी अष्टानिका महापर्व की आराधना चल रही है। यहां पार्श्वनाथ जिनालय में दो दिवसीय रत्नात्रय विधान का आयोजन ब्रह्मचारी महेंद्र शास्त्री के निर्देशन में किया गया। विधान के पश्चात सभी ने ब्रह्मचारी के श्रीमुख से मां जिनवाणी का रसपान किया। उन्होंने सकल समाज को तीर्थक्षेत्र द्रोणगिरी में 24 से 29 मार्च तक आयोजित होने वाली बाल ब्रह्मचारी पंडित रविंद्र की ज्ञानगोष्ठी का मंगलमय आमंत्रण दिया।