लम्बे समय से बाहर जाने की परम्परा
रोजी रोटी के लिए ये पलायन केवल तामिया में नहीं बल्कि जिले के दूसरे हिस्से अमरवाड़ा, हर्रई, जुन्नारदेव और बिछुआ विकासखंड में भी है,जहां फसल काटने के लिए टोली में जाने की परम्परा लम्बे समय से आदिवासी समुदाय के बीच रही है। पिछले एक दशक से मनरेगा योजना में अरबों रुपए खर्च हो चुके है, लेकिन किसी ने भी फसल काटने बाहर जाना नहीं छोड़ा है। महत्वपूर्ण यह है कि मजदूर न केवल इस सीजन में सोयाबीन बल्कि तुअर तथा अप्रैल में गेहूं काटने जाते हंै।