जानकारी के अनुसार चांदामेटा निवासी मंगलू भारती (70) की तबीयत लम्बे समय से खराब चल रही है। पुत्र राजेश भारती ने बताया कि वह अपने पिता के इलाज के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाता रहा, लेकिन किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। गौरतलब है कि मेडिसिन विभाग में चिकित्सकों की मनमानी के कारण मरीजों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसी के चलते डीवीडी वार्ड में तीन दिन से भर्ती एक महिला बिना इलाज के मर गई। वहीं रोजाना ओपीडी से बड़ी संख्या में मरीज बिना उपचार कराए लौट रहे हैं। इस संदर्भ में कई बार कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को शिकायत की गई। लेकिन अब तक किसी भी अधिकारी ने मामले में निराकरण करने का प्रयास नहीं किया है।
पर्ची और भर्ती के लिए खर्च करने होते हैं पैसे
रोगी कल्याण समिति के तहत जिला अस्पताल में मरीजों से पंजीयन शुल्क दस तथा भर्ती शुल्क पचास रुपए लिया जाता है। वहीं भर्ती से लेकर उपचार तक की प्रक्रिया में मरीज को दो से तीन घंटे लगते हैं। जबकि सभी शासकीय चिकित्सकों को शासन डेढ़ लाख से एक लाख ८० हजार रुपए वेतन प्रतिमाह देती है। इसके बावजूद उन्हें उपचार नहीं मिलने से उनमें आक्रोश की स्थिति बनती है।
बनाई गई आंशिक व्यवस्था
&सर्वाधिक समस्या मेडिसिन विभाग के कक्ष क्रमांक-16 में आ रही है। मरीजों की कतार और समस्या को देखते हुए आंशिक व्यवस्था कक्ष क्रमांक-9 में बनाई। वहीं समस्या की सूचना उच्चाधिकारियों को दी गई है।
डॉ. सुशील दुबे, आरएमओ