बताया जाता है कि मरीजों के हितों को ध्यान में रखते में हुए प्राइवेट अथवा नॉन प्राइवेट प्रेक्टिस के विकल्प का चयन करने के लिए डॉक्टरों को छूट प्रदान की गई है। इसके तहत जिन डॉक्टरों ने नॉन प्रेक्टिस अलाउंस लेने का विकल्प चयन किया है, वह किसी भी निजी नर्सिंग होम अथवा हॉस्टिपल में चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान नहीं कर सकता है। जबकि मेडिकल कॉलेज के कई डॉक्टर एनपीए लेकर भी निजी संस्थाओं में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
ओपीडी में दर्ज मरीज को निजी सेवा नहीं दे सकेंगे
निर्धारित नियमों के आधार पर मेडिकल कॉलेज अथवा जिला अस्पताल की ओपीडी में पंजीकृत अथवा भर्ती मरीज किसी वजह से चला जाता है और अन्य प्राइवेट हॉस्पिटल में उपचार के लिए भर्ती होता है, तब संबंधित मरीज को देखने या ऑपरेशन नहीं किया जा सकता है। विभाग भी इसके लिए अनुमति प्रदान नहीं कर सकता है।
हालांकि शासकीय संस्था के बाहर मरीजों को देखने या ऑपरेशन की अनुमति कुछ शर्तों के आधार पर दी जा सकती है। संबंधित हॉस्पिटल मप्र शासन से मान्यता प्राप्त हो, अर्थात संबंधित निजी हॉस्पिटल का मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग से मान्यता प्राप्त होना है। सीएमएचओ कार्यालय में पंजीकृत को मान्य नहीं किया जा सकता है।