डॉक्टर्स-डे के उपलक्ष्य पर पत्रिका ने कोरोना वारियर्स के रूप में सेवा दे रहे छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस से सहायक प्राध्यापक डॉ. नांदूरकर तथा विकासखंड चिकित्सा अधिकारी हर्रई डॉ. पीयूष शर्मा से चर्चा की तथा कई अहम बिंदुओं और अनुभव को विस्तृत रूप से जानने का प्रयास किया। बता दें कि अब तक जिले में 59 पॉजिटिव केस आए है, जिनमें से अब तक 26 स्वस्थ हो चुके है।
ड्यूटी पर जाने से पहले निपटा लेते है सभी जरूरी कार्य –
प्रोटोकॉल के तहत आइसोलेशन वार्ड में जाने से पहले पीपीइ किट पहनकर जाते है तो पहले ही नेचरकॉल और आवश्यक कार्यों से मुक्त हो जाते है। आइसीयू में भर्ती मरीजों की मॉनिटरिंग करने के लिए 5-5 घंटे तक किट पहनकर कार्य करना पड़ता है। लेकिन यह ड्यूटी का एक हिस्सा है, जिसे निभाना होता है।
हालांकि आवश्यकता होने पर किट बदलकर कार्य पूरा करने पर दोबारा ड्यूटी ज्वाइन कर सकते है। छिंदवाड़ा में रिकवरी रेट बेहतर है, जिससे भय की स्थिति नहीं है तथा लोगों में जागरूकता भी आ रही है। इससे वायरस सामुदायिक संक्रमण की स्थिति नहीं बनी है, पर प्रोटोकॉल का पालन करने से संक्रमित होने की संभावना नहीं होती है।
ट्रायबल क्षेत्र में कार्य करना कठिन –
सीमित संसाधनों में ट्रायबल क्षेत्र में कार्य करना काफी चुनौति पूर्ण होता है। लेकिन उचित प्रबंधन और टीम वर्क से बेहतर सेवाएं लोगों को प्रदान की जाती है। हर्रई क्षेत्र से अब तक 20 पॉजिटिव आए है तथा 340 लोगों के स्वाव सेम्पल लिए गए है, जिसे हमने टीम के सहयोग से किया।
ट्रायबल क्षेत्र में कार्य करना कठिन –
सीमित संसाधनों में ट्रायबल क्षेत्र में कार्य करना काफी चुनौति पूर्ण होता है। लेकिन उचित प्रबंधन और टीम वर्क से बेहतर सेवाएं लोगों को प्रदान की जाती है। हर्रई क्षेत्र से अब तक 20 पॉजिटिव आए है तथा 340 लोगों के स्वाव सेम्पल लिए गए है, जिसे हमने टीम के सहयोग से किया।
कोरोना कॉल में एक समय ऐसा भी आया, जब हमारी टीम के टेक्रिशियन और सपोर्ट स्टाफ पीपीइ किट पहने हुए थे और गर्मी की वजह से चक्कर खाकर बेहोश हो गए थे। उस समय जो टीम वर्क नजर आया, वह काफी प्रशंसनीय है। हमने कर्मचारियों को आराम भी दिया और लक्ष्य भी हासिल कर लिया। कोरोना से सुरक्षा सावधानी बरतने से ही मिल सकती है।