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मौज कर रहे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर, जनता हैरान

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 25, 2018 11:44:49 am

Submitted by:

Dinesh Sahu

एमसीआइ ने दी नहीं मान्यता, फिर भी नियुक्त हो रहे नए डॉक्टर, डॉक्टरों की नियुक्ति से शासन की नीति पर उठे सवाल

Doctors of the fun-loving medical college, the public is shocked

fraud in UP Medical education and RNN, MDs will be sacked

छिंदवाड़ा . मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा जिम्मेदारों की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। एक तो पहले से ही नियुक्त प्रोफेसर, असिसटेंट प्रोफेसर, असोसिएट प्रोफेसर, डेमोस्टे्रटर, सीनियर रेसीडैंसी तथा जूनियर रेसीडेंसी सहित 74 डॉक्टरों की सेवाओं का लाभ जिले के लोगों को नहीं मिल रहा है, वहीं एमसीआइ दिल्ली ने भी मान्यता देने से इनकार कर दिया। इसके बावजूद अतिरिक्त डॉक्टरों की नियुक्ति करना शासन की नीति पर सवाल उठाता है।
मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा जिम्मेदारों की उपेक्षा का बना शिकार


जानकारी के अनुसार पूर्व में नियुक्त डॉक्टरों के अलावा 23 नए डॉक्टरों का चयन छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के लिए हुआ है। इनमें से कुछ लोगों ने ज्वाइनिंग भी दे दी है, जबकि पहले से नियुक्त 74 में से 11 छोड़ कर चले गए हैं। शेष में से कुछ डॉक्टर ही मरीजों को सेवा देते हैं, जबकि ज्यादातर मात्र औपचारिकता निभा रहे हैं।

मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा के लिए नियुक्त हुए अधिकारी (पूर्व पदस्थाना के अनुसार)


10 प्रोफेसर

34 असिसटेंट प्रोफेसर

10 एसोसिएट प्रोफेसर

09 सीनियर रेसीडेंट

01 जूनियर रेसीडेंट

10 डेमोस्टे्रटर

43 करोड़ मिले अतिरिक्त


मप्र मंत्रीमंडल ने मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा के निर्माण सहित उपकरणों के लिए 43 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बजट स्वीकृत किया है। हालांकि पूर्व में शासन 177.55 करोड़ का बजट स्वीकृत हो चुका है। पीआइयू एजेंसी की मॉनिटङ्क्षरग अंतर्गत गुजरात की कम्पनी द्वारा अब तक 60 प्रतिशत कार्य पूरा कर लिया गया है तथा अतिरिक्त बजट स्वीकृत होने से उक्त कार्य में गति आने की सम्भावना जताई जा रही है। हालांकि नवीन सत्र इस वर्ष शुरू नहीं हो सकेगा।

मुख्यालय में नहीं रहते डीन


जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पदस्थ तथा छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के प्रभारी डीन डॉ. तकी रजा मुख्यालय पर नहीं रहते हैं। इसी वजह से कॉलेज के डॉक्टरों पर नियंत्रण भी नहीं होता। इधर मेडिकल कॉलेज तथा जिला अस्पताल के उन्नयन पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है।
इसी वजह से भी कार्य प्रभावित होना बताया जाता है।
मान्यता मिलने तक क्या करेंगे डॉक्टर


मेडिकल कॉलेज संचालन के लिए पहले से नियुक्त डॉक्टरों के कार्य तय नहीं हो सके है। जिला अस्पताल में भी उनकी सेवाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। सवाल यह है कि एमसीआइ से जब तक मान्यता नहीं मिलती तक तक नवीन पदस्थापना की क्या आवश्यकता है। अगले सत्र में मान्यता मिलने का भले ही दावा किया जा रहा हो, लेकिन वर्तमान में मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का उपयोग कहां होना है, इस पर संशय बना हुआ है।

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