गौरतलब है कि १४ अक्टूबर को आईसीसीयू वार्ड में भर्ती एक बुजुर्ग महिला के दोनों पैरों को चूहों ने कुतर लिया था। घटना को लेकर कलेक्टर ने एडीएम आलोक श्रीवास्तव जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट में मामला सही पाए जाने पर आसीसीयू विभाग की स्टाफ नर्स, ठेका स्वास्थ्य कर्मी को सस्पेंड कर दिया गया था तथा तीन डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस दिया गया था। इसके बाद प्रबंधन चूहों पर नियंत्रण लाने के लिए कई संस्थाओं से आवेदन मांगा था।
इसमें छिंदवाड़ा और नागपुर की संस्थाओं ने १६ लाख रुपए का प्रस्ताव दिया था। इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ. जेएस गोगिया ने बताया कि अब तक वार्डों में गए पिंजरों में ५५ से ६० पकड़े गए हैं। इसके बाद कोई नया प्रकरण सामने नहीं आया है। इसके चलते स्थिति नियंत्रण आ गई है।
फर्जी डॉक्टरों के बाद अब पैथोलॉजी की बारी
जिले में संचालित निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लीनिक्स, पैथोलॉजी तथा प्रयोगशालाएं नियमानुसार संचालित हो रही हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए मप्र स्वास्थ्य संचालनालय ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिए गए हंै। स्वास्थ्य संचालक डॉ. केके ठस्सू ने निर्देश में कहा है कि सीएमएचओ के मार्गदर्शन में चिकित्सकों का एक दल बनाकर निजी स्वास्थ्य संस्थाओं की जांच कराई जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि निजी संस्थाएं मापदंडों के अनुसार कार्य कर रहीं हैं या नहीं। वहां कोई शासकीय चिकित्सक तो कार्य नहीं कर रहा है।
बताया जाता है कि उक्त संस्थाओं को अनुज्ञापन एवं पंजीयन सीएमएचओ द्वारा किया जाता है। इसके पूर्व आवश्यक सभी बिंदुओं का निरीक्षण भी किया जाता है। वहीं समय-समय पर संचालित निजी संस्थाओं की जांच कर रिपोर्ट संचालनालय को प्रस्तुत करनी होती है।
झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई के लिए बीएमओ को निर्देश जिले के समस्त विकासखंडों के बीएमओ को झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके लिए राजस्व अधिकारी तथा पुलिस की मदद ली जानी है। गौरतलब है कि सभ्ी जिलों में सक्रिय फर्जी/झोलाछाप डॉक्टरों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मप्र स्वास्थ्य संचालनालय ने निर्देश जारी किए थे। इस संदर्भ में कलेक्टर जेके जैन ने सीएमएचओ को टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं। सीएमएचओ डॉ. जेएस गोगिया ने बताया कि सभी बीएमओ को इसके लिए पत्र जारी कर दिया गया है। वहीं निजी संस्थाओं की जांच के लिए पहले से ही टीम कार्य कर रही है।