डॉक्टरों का मानना है कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं सबसे ज्यादा किडऩी रोग से प्रभावित होती हंै। चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके वर्मा
ने बताया कि शुरुआती स्टेज में बीमारी का पता चलना कठिन होता है, क्योंकि दोनों किडनी में 60 फीसदी की खराबी आने के बाद ही खून में क्रिएटनिन बढऩा शुरू होता है। उसी के बाद बीमारी के लक्षण सामने आते हंै।
इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
पेशाब आने पर जबरन नहीं रोकना चाहिए।
कम से कम चार लीटर पानी प्रतिदिन पीना चाहिए।
बहुत ज्यादा या ऊपर से नमक नहीं खाना चाहिए।
हाइ बीपी के इलाज में लापरवाही नहीं बरतना चाहिए।
शुगर होने पर संयमित जीवन जीना तथा नियमित जांच कराते रहना चाहिए।
मांस का सेवन ज्यादा नहीं करना चाहिए।
दर्द निवारक दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए।
शराब और धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
पर्याप्त मात्रा में शरीर को आराम देना चाहिए।
सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोड़ा ज्यादा नहीं लेना आदि।
यह है जिले की स्थिति
169 मरीज पहुंचे जिला अस्पताल बीते एक वर्ष
600 मरीजों को सप्ताह में न्यूनतम एक बार डायलिसिस दिया गया
5085 मरीजों की ब्लड यूरिया जांच विगत एक वर्ष में जांची गई
4655 मरीजों की क्रिएटनिन जांच की गई पिछले साल
(नोट: आंकड़े स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार)
दर्द निवारक दवाएं लेने से बचें
लापरवाही के कारण किडनी रोग से ग्रसित लोगों की संख्या बढ़ रही है। बीमारी की चपेट में युवा से लेकर बुजुर्ग तक आ रहे हैं। धूम्रपान करने से इसकी आशंका ज्यादा हो जाती है। समय-समय पर मरीजों को जांच जरूर करानी चाहिए तथा एंटीबायोटिक दवा के सेवन से बचना चाहिए। चूंकि एक बार यह रोग हो गया तो सुधारना मुश्किल होता है। झोलाछाप डॉक्टरों से दर्द निवारक दवा लेना सबसे बड़ी समस्या है। मरीज यदि २४ घंटे के भीतर एक बार भी पेशाब नहीं करता है तो यह गंभीर संकेत हो सकते हंै।
डॉ. एके वर्मा, चिकित्सा अधिकारी, छिंदवाड़ा