जमुनिया पठार माइंस प्रोजेक्ट पर ग्रहण
छिंदवाड़ाPublished: Aug 07, 2023 09:18:52 pm
वेकोलि पेंच क्षेत्र की जमुनिया पठार खदान पर खुलने के पहले ही बंद होने का संकट गहरा रहा हैं। दरअसल इस खदान के अंदर भूगर्भीय स्थिति के कारण प्रबंधन इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा है। जमुनिया पठार खदान का भूमिपूजन 28 फरवरी 2014 को तत्कालीन कोयला मंत्री प्रकाश जायसवाल, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने किया था। 411 करोड़ खर्च कर खदान से 0.70 मिलीयन टन कोयला निकालने की योजना है। खदान की आयु 37 वर्ष आंकी गई है।


Eclipse on Jamunia Plateau Mines Project
छिंदवाड़ा/ परासिया. वेकोलि पेंच क्षेत्र की जमुनिया पठार खदान पर खुलने के पहले ही बंद होने का संकट गहरा रहा हैं। दरअसल इस खदान के अंदर भूगर्भीय स्थिति के कारण प्रबंधन इसमें दिलचस्पी नहीं ले रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि पेंच क्षेत्र का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट जमुनिया पठार के नहीं खुलने से कामगारों के अलावा क्षेत्र को बड़ा नुकसान होगा। प्रोजक्ट रिपोर्ट के अनुसार इस खदान में दो इंकलाइन चलाई जानी थी। दोनों को 810 मीटर खोदा जाना था, परन्तु तकनीकी समस्याएं आ जाने से सपोर्ट का कार्य ठीक तरह से नहीं हो पा रहा है। मिट्टी रूफ को कमजोर कर रही है। इंकलाइन बनाए जाने में 13.87 करोड़ का वर्कआर्डर हुआ है। आठ करोड़ इंकलाइन बनाने में खर्च हो चुके हैं। पिछले लगभग डेढ़ माह से जमुनिया पठार का कार्य बन्द कर दिया गया है। पेंच क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिगत कोयला खदान जमुनिया पठार में ठेकेदार ने पहले ही ड्रिफ्टिंग का कार्य बंद कर दिया है। पिछले पांच वर्ष से खदान प्रारंभ करने के लिए खुदाई का काम किया गया, लेकिन भूगर्भीय स्थिति और ठेकेदार ने रूचि नहीं लेने के कारण कार्य तीव्र गति से नहीं हुआ। 1800 मीटर सुरंग बनाई जानी थी। इसमें मात्र 400 मीटर कार्य हो पाया है। जमुनिया पठार में दो इंकलाइन पर काम हो रहा है। इंकलाइन एक में दो सौ मीटर काम होने के बाद काम बंद कर दिया है। इसी तरह इंकलाइन दोमें लगभग 180 मीटर काम हुआ और मिट्टी का पैच आ जाने से काम बंद कर दिया गया है। यहां पर साइड वाल बनाने का काम किया गया है। दोनों इंकलाइन में खुदाई के बाद मिट्टी धंसकने के कारण कई बार सुरक्षा की दृष्टि से महीनों काम बंद रहा है। जमुनिया पठार खदान का भूमिपूजन 28 फरवरी 2014 को तत्कालीन कोयला मंत्री प्रकाश जायसवाल, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने किया था। 411 करोड़ खर्च कर खदान से 0.70 मिलीयन टन कोयला निकालने
की योजना है। खदान की आयु 37 वर्ष आंकी गई है। जमीन अधिग्रहण पर किसानों को लगभग 15 करोड़ भुगतान की स्वीकृति दी गई। इस खदान में जमीन के बदले नौकरी के लिए शुरू में 22 लोगों का चयन किया, लेकिन बाद में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते 227 लोगों को नौकरी प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की गई। खदान से कोयला तो नहीं निकला लेकिन मुआवजा के तौर पर करोडों रूपये, दो सौ से
अधिक लोगों को नौकरी तथा खदान खोलने के नाम पर लगभग आठ करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं।