राजमाता सिंधिया गल्र्स कॉलेज में कुछ छात्राओं का स्नातक तृतीय वर्ष में एटीकेटी आया था। उन्होंने परीक्षा नहीं दी और स्नातकोत्तर(एमए-हिन्दी) प्रथम सेमेस्टर में प्रोविजनल दाखिला ले लिया। इसके बाद उन्होंने इस सेमेस्टर की परीक्षा दे दी और उत्तीर्ण हो गई। इसके बाद भी छात्राओं ने स्नातक तृतीय वर्ष की एटीकेटी विषय की परीक्षा नहीं दी और स्नातकोत्तर द्वितीय एवं तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा देकर उत्तीर्ण हो गई। जबकि नियमानुसार छात्राओं को पहले स्नातक की डिग्री पूरी करनी थी।
छात्राएं बीते 23 जुलाई को एमए-हिंदी चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा देने पहुंची तो उन्हें पता चला कि उनका प्रवेश पत्र जनरेट नहीं हुआ है। कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि आप विश्वविद्यालय से सपंर्क करें। इसके बाद छात्राएं विश्वविद्यालय पहुंची तो उन्हें यह बताया कि आपने स्नातक की डिग्री पूरी नहीं की है। ऐसे में आपको स्नातकोत्तर चतुर्थ सेमेस्टर के परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा।
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. धनाराम उइके का कहना है कि किसी भी कॉलेज में जब विद्यार्थी ऑनलाइन माध्यम से परीक्षा फॉर्म भरता है तो उसे कॉलेज प्राचार्य द्वारा अप्रूव किया जाता है। पूरी व्यवस्था ऑनलाइन हैं। प्राचार्य अपनी जिम्मेदारी पर ही फॉर्म अप्रूव करते हैं। विश्वविद्यालय इसी के आधार पर प्रवेश पत्र जनरेट करता है। हालांकि परीक्षा नियंत्रक का कहना है कि इस मामले में विद्यार्थी को ही जागरूक होना चाहिए। अगर उसने स्नातक प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी तो उसे स्नातक तृतीय वर्ष की भी परीक्षा समय रहते उत्तीर्ण करनी थी। इसके बाद ही स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा देनी थी।
नियम के अनुसार विद्यार्थी को पांच वर्ष में स्नातक की डिग्री पूरी करनी होती है। विश्वविद्यालय का कहना है कि छात्राओं की सभी परीक्षा निरस्त की जाएगी। ऐसे में छात्राओं का भविष्य अंधरकारमय हो गया है। जबकि उनका बीए एवं एमए की पढ़ाई करने में पांच साल खर्च हो चुके हैं।
कॉलेज द्वारा ही परीक्षा फॉर्म ऑनलाइन माध्यम से अप्रूव किया जाता है। छात्राओं को इसका ध्यान रखना चाहिए था कि वे जब स्नातक की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई हैं तो स्नातकोत्तर की परीक्षा में कैसे बैठ रही हैं।
डॉ. धनाराम उइके, परीक्षा नियंत्रक, आरएसएस विवि, छिंदवाड़ा