क्या है पाक मुए-मुबारक वर्ष 2006 में बरकुही में मुए मुबारक लाया गया था। हजरत मोहम्मद पैगम्बर साहब ने आखिरी हज के दौरान अपने सिर के बाल को मुड़वाया। यही मुए मुबारक कहलाते है। जिसे मुस्लिम जमात के लोग बड़ा मुबारक समझते है जिसे देखना इबादत है। इसलिए पूरे जिले के लोग मुए मुबारक के दीदार के लिए उमड़ पड़ते है। इस्लामी हदीश के हिसाब से पैगम्बर मोहम्मद साहब के जिस्म का कोई अंग कभी नष्ट नहीं हो सकता। जैसे अपने जीवन काल में अंग बढ़ते है इसी प्रकार से पाक मुए मुबारक भी धीरे-धीरे बढ़ते है। मुए मुबारक की विशेषता है कि इसका साया, परछाई नहीं होती। जामा मस्जिद में अब्दुल कादिर जिलानी रहमतुल्लाह अलैह बगदाद इराक के मुए मुबारक के भी अकीदत मंदों को दीदार कराए गए। इस मौके पर बडक़ुही जामा मस्जिद सरपस्त कमेटी ने व्यवस्था कर मुए मुबारक के दीदार कराया।