पंचायत और नगरीय निकाय की अधिसूचना जारी होने के बाद नहीं दिखी भूमिका, टिकट को लेकर कार्यकर्ताओं में मची खींचतान, समन्वय समिति की राह देख रहे लोग
छिंदवाड़ा
Updated: June 08, 2022 08:33:14 pm
छिंदवाड़ा.पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही मैदानी कार्यकर्ता भले ही सक्रिय हो गए हो लेकिन प्रभारी मंत्री कमल पटेल की भूमिका नजर नहीं आ रही है। पार्टी में महापौर व पार्षद पदों की टिकट की खींचतान मची हैं और समन्वय समिति का गठन भी नहीं हो पाया है। इस बीच मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्री को दोनों चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी डाल दी है।
ं सातों विधानसभा से कोई विधायक नहीं होने से सत्तारूढ़ दल की गतिविधियां संगठन स्तर से ही चल रही है। पार्टी में ज्वलंत मुद्दा महापौर और पार्षद टिकट का है। चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदारों की संख्या अधिक हैं। दो क्षत्रप होने से उनकी गुटीय निष्ठा भी अलग-अलग हैं। टिकट में वे एक-दूसरे को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। पार्टी की टिकट की कोई गाइड लाइन सामने नहीं आई हैं। दावेदार अपने स्तर पर टिकट की मान-मनुहार में लगे है। प्रभारी मंत्री के एक साल में दो-तीन दौरे होने से कार्यकर्ता उनसे घुल-मिल नहीं पाए हैं। उनके सामने सवाल यह है कि यदि गुटों में टिकट का संतुलन बिगड़ा तो समन्वयक की भूमिका कौन अदा करेगा? पार्टी ने कोई समन्वय समिति भी नहीं बनाई है। टिकट की इस भागमभाग में कार्यकर्ता असहाय महसूस कर रहे हैं।
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जिपं अध्यक्ष और महापौर रहेगा मंत्री की चुनौती
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक दिन पहले भोपाल में हुई बैठक में प्रभार वाले मंत्रियों को अपने जिलों में पार्टी को जितवाने की जिम्मेदारी सौंपी हैं। ऐसे में कमल पटेल को छिंदवाड़ा आकर अपनी भूमिका निभानी पड़ेगी। उनकी पहली परीक्षा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित उम्मीदवार को बैठाने की होगी। इस अप्रत्यक्ष चुनाव में अलग-अलग दल से संबंधित सदस्य चुनकर आएंगे। दूसरी जिम्मेदारी नगर निगम में महापौर निर्वाचित कराने की होगी। यह तभी होगा, जब जनमत भाजपा के पक्ष में आए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ का गृह नगर होने से कांटे का मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है। फिर पार्षद निर्वाचन के बाद निगम अध्यक्ष का चुनाव महत्वपूर्ण होगा। इससे ही प्रभारी मंत्री का रुतबा बढ़ पाएगा।
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पहले आप के चक्कर में 20 तक जाएगी टिकट
नगर निगम चुनाव में महापौर और पार्षद टिकट की घोषणा 20 जून तक होने की संभावना दिखाई दे रही हैं। वजह यह हैं कि भाजपा और कांग्रेस पिछले चुनाव में टिकट अंतिम क्षण में देने की आदी रही हैं। दोनों में पहले आप का पेंच रहा हैं। नाम वापसी की तारीख तक यह रस्साकशी देखने को मिलती है। इस बार यह तारीख 22 जून हैं। ये दल टिकट का मसला कितना भी छुपाए, उन्हें इससे पहले अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को पार्टी का बी फार्म तो देना ही होगा।
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गोंडवाना निभा सकती है तीसरे दल की भूमिका
महापौर का पद आदिवासी के लिए आरक्षित हैं। देखा जाए तो पिछले दो दशक से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी छिंदवाड़ा जिले में तीसरी ताकत की भूमिका निभाती आई हैं। इसका वोट औसत करीब 2 लाख तक रहा हैं। बीच में पार्टी विभाजन से सामाजिक वोट बिखर कर बंट गया। यह भी तथ्य हैं कि शहर में गोंडवाना का प्रभाव कभी दिखाई नहीं दिया। वर्ष 2015 के पहले निगम चुनाव में पार्टी नहीं दिखी। वर्ष 2022 के इस चुनाव में गोंडवाना के नेता महापौर और पार्षद की रिजर्व सीट से उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। यह प्रयोग कितना सफल हो पाता है,
यह तो भविष्य ही बताएगा।
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कमलनाथ सेना ने सुनील के लिए खुलकर मांगी टिकट
महापौर टिकट के लिए कांग्रेस में दावेदार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन कमलनाथ सेना की पसंद जुन्नारदेव विधायक सुनील उइके हैं। सेना प्रमुख विनय राजपूत ने तो प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष कमलनाथ से खुले तौर पर उइके को टिकट देने की मांग कर डाली। इस मांग की सुनवाई होती या नहीं, लेकिन कांग्रेस गलियारों में हलचल तो मच गई है।
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