नई तकनीक को आजमाए वेकोलि विधायक ने बताया बहुत सी नई तकनीक खदान को संचालित करने की आ चुकी हैं। वेकोलि सीएमपीडीआईएल से पुन: नई तकनीक से कोई रास्ता निकालकर इस खदान को शुरू करने की कोशिश कर सकती है। वेकोलि प्रबन्धन इसे धनकशा माइन के अंदर से संचालित करना चाह रही है जो असंभव है। धनकशा से जमुनिया पठार की दूरी
लगभग 11 किमी है । बीच में नदी पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में धनकशा से जमुनिया पठार
खदान को चलाया जाना संभव नहीं है। जमुनिया पठार माइन की क्लोजर की कार्यवाही को तत्काल बन्द किया जाए।
लगभग 11 किमी है । बीच में नदी पड़ती है। ऐसी परिस्थिति में धनकशा से जमुनिया पठार
खदान को चलाया जाना संभव नहीं है। जमुनिया पठार माइन की क्लोजर की कार्यवाही को तत्काल बन्द किया जाए।
411 करोड़ की है परियोजना जमुनिया पठार खदान का भूमिपूजन 28 फरवरी 2014 को तत्कालीन कोयला मंत्री प्रकाश जायसवाल, संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने किया था। 411 करोड़ खर्च कर खदान से 0.70 मिलीयन टन कोयला निकालने की योजना है। खदान की आयु 37 वर्ष आंकी गई है। जमीन अधिग्रहण पर किसानों को लगभग 15 करोड भुगतान की स्वीकृति दी गई। इस खदान में जमीन के बदले नौकरी के लिए शुरू में 22 लोगों का चयन किया,लेकिन बाद में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते 227 लोगों को नौकरी प्रदान करने की स्वीकृति प्रदान की गई। खदान से कोयला तो नहीं निकला लेकिन मुआवजा के तौर पर करोडों रूपये, दोसौ से अधिक लोगों को नौकरी तथा खदान खोलने के नाम पर लगभग 8 करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हैं।
भूगर्भीय स्थिति ने बढ़ाई मुसीबत पेंच क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिगत कोयला खदान जमुनिया पठार में ड्रिफ्टिंग का कार्य ठेकेदार ने पहले ही बंद कर दिया है। पिछले पांच वर्ष से खदान प्रारंभ करने के लिए खुदाई का काम किया गया, लेकिन भूगर्भीय स्थिति और ठेकेदार द्वारा रूचि नहीं लेने के कारण कार्य तीव्र गति से नहीं हुआ। 1800 मीटर सुरंग बनाई जानी थी। इसमें मात्र 400 मीटर कार्य हो पाया है। जमुनिया पठार में दो इंकलाइन पर काम हो रहा है, इंकलाइन एक में दो सौ मीटर काम होने के बाद काम बंद कर दिया गया है। इसी तरह इंक लाइन दो में लगभग 180 मीटर काम हुआ और मिट्टी का पैच आ जाने से काम बंद कर दिया है। यहां पर साइड वॉल बनाने का काम किया गया है। दोनों इंकलाइन में खुदाई के बाद मिट्टी धंसकने के कारण कई बार सुरक्षा की दृष्टि से महीनों काम बंद रहा।