टूट जाती है उम्मीद
वर्षों पहले आयोजित रोजगार मेलों में स्कूल शिक्षा प्राप्त बेरोजगार युवा ही शामिल होते थे, लेकिन अब वर्तमान में बेरोजगारी की मार इतनी ज्यादा है कि ग्रेज्युएट और पोस्ट ग्रेज्युएट भी यहां पहुंचते हैं, लेकिन इनकी उम्मीदें तब टूट जाती हैं जब यहां मिलने वाला पैकेज महज कुछ हजारों में सिमट जाता है।
जिले मेें एक लाख से ज्यादा बेरोजगारों का पंजीयन
प्रतिवर्ष रोजगार कार्यालय में हजारों लोग रजिस्ट्रेशन कराते हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। रोजगार कार्यालय में जुलाई 2021 की स्थिति में करीब एक लाख से ज्यादा बेरोजगार युवाओं का पंजीयन है। इनमेें पुरुषों का प्रतिशत ज्यादा है। आंकड़ों की मानें तो जिले में रोजगार मेले के आयोजन के बावजूद हजारों शिक्षित बेरोजगारों को अब भी नौकरी की तलाश है।
अंग्रेजी की बाधा
जानकारों की मानें तो बड़ी कम्पनियों में चयन के लिए अंग्रेजी में दक्ष होना बेहद जरूरी है। शहर के ज्यादातर युवा बड़ी कम्पनियों में आवेदन तो करते हैं, लेकिन चयन के अंतिम चरण तक जाते-जाते रिजेक्ट हो जाते हैं।
युवाओं की मत
रोजगार मेले में कम्पनियां केवल प्रचार के लिए आती हैं। मेरी जानकारी में आज तक किसी साथी की रोजगार मेले से अच्छी नौकरी नहीं लगी।
सागर भारके, पूर्व छात्र
अगर युवा में प्रतिभा है तो वह नौकरी पा जाएगा। हां यह जरूर है कि रोजगार मेले के माध्यम से बहुत कम ही युवाओं को नौकरी मिल पाती है।
आयुष मिश्रा, पूर्व छात्र
बहुमुखी प्रतिभाशाली युवा चाहिए
रोजगार कार्यालय और रोजगार मेला युवा और कम्पनी के बीच की कड़ी है। यह युवाओं को मंच उपलब्ध कराता है। कम्पनी और युवा एक जगह मिलते हैं। इस दौरान युवा अपनी पसंद की नौकरी और कम्पनी योग्य आवेदकों का चुनाव करती है। रोजगार मेले में बड़ी कम्पनियां इसलिए नहीं आती क्योंकि उन्हें जो योग्यता चाहिए वह मेले में मिल नहीं पाती। उन्हें अच्छी अंग्रेजी बोलने वाले, प्रशिक्षित एवं कुशल युवा चाहिए। कुल मिलाकर उन्हें बहुमुखी प्रतिभाशाली युवा चाहिए।
डॉ. पीएन सनेसर, सम्भागीय समन्वयक, स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना
रोजगार मेले में बड़ी कम्पनियों को बुलाकर युवाओं को बेहतर वेतन पर नौकरी दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अभी अप्रैल से नवम्बर तक 3654 युवाओं को ऑफर लेटर दिलाया गया है।
-माधुरी भलावी, जिला रोजगार अधिकारी