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मनरेगा पर संकट के बादल, काम को तरस जाएंगे मजदूर

locationछिंदवाड़ाPublished: Jan 30, 2019 11:15:16 pm

Submitted by:

prabha shankar

जिला पंचायत में कार्ययोजना का अनुमोदन

CEO of eight districts not able to cross 11 Employment

CEO of eight districts not able to cross 11 Employment

छिंदवाड़ा. प्रदेश सरकार भले ही ग्रामीण रोजगार को प्राथमिकता दे रही हो, लेकिन अगले वित्त वर्ष 2019-20 में मनरेगा के मजदूरों को कम दिन ही रोजगार मिलेगा। इसकी वजह लोकसभा और पंचायत चुनाव में ग्रामीणों और कर्मचारियों की व्यस्तता होगी। इसके चलते मानव दिवस और रोजगार की लागत 50 करोड़ रुपए कम करने का अनुमान प्रस्तुत किया गया है।
जिला पंचायत की जानकारी के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में 77.77 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया था। इस पर राज्य शासन द्वारा 239 करोड़ रुपए की कार्ययोजना मंजूर की गई थी। इस बजट के चलते इस समय जिले के गांव में मेढ़ बंधान, प्लांटेशन, शैलपर्ण समेत अन्य कार्य हो रहे हैं। इसमें मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष में यह काम मार्च तक जारी रहेंगे। हाल ही में जिला पंचायत की आगामी वित्त वर्ष 2019-20 की कार्य योजना तैयार की गई। इस कार्ययोजना में 69.84 लाख मानव दिवस का सृजन करने की बात कही गई है। इसमें 184 करोड़ का बजट प्रस्ताव रखा गया है। इस कार्य योजना को राज्य शासन के पास पहुंचाया जाएगा जिसमें वहां से ही बजट स्वीकृत होगा।
जिला पंचायत सूत्रों का कहना है कि मनरेगा में रोजगार कम करने का कारण इस साल लोकसभा चुनाव और पंचायत चुनाव की व्यस्तता होगी। पिछले साल भी कार्ययोजना में कम मानव दिवस और बजट का प्रस्ताव था, लेकिन भोपाल के अधिकारियों ने उसे बढ़ा दिया था। इसके चलते ही जिला पंचायत में सामान्य सभा में प्रस्ताव रखा गया और इसका अनुमोदन कराया गया।
जिला पंचायत के मनरेगा परियोजना अधिकारी निशांत सिक्के वाल का कहना है कि इस साल 184 करोड़ रुपए के मनरेगा बजट का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

मनरेगा में मजदूरी भुगतान का संकट बरकरार
इस चालू वित्त वर्ष में बीती 23 दिसम्बर से मनरेगा में बजट संकट बना हुआ है। छिंदवाड़ा जिले में मजदूरी और मटेरियल का करीब पांच करोड़ से अधिक राशि का बकाया है। मजदूरी न मिलने से मजदूर पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक पहुंच रहे हैं। इसका निदान अभी तक नहीं हो पाया है। जिला पंचायत के अधिकारी कह रहे हैं कि प्रदेश की मनरेगा किस्त दिल्ली से न आने से यह स्थिति बन रही है।

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