दरअसल, अंग्रेजी माध्यम में कक्षाएं शुरू करने के बावजूद एमएलबी विद्यालय प्रबंधन अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की व्यवस्था नहीं करा सका। इन बच्चों को भी हिंदी माध्यम के ही शिक्षकों द्वारा पढ़ाया गया। इससे आइटी एवं अपेरल मेड यूपीएस एंड होम फर्निशिंग की परीक्षा में प्रश्नपत्र अंग्रेजी से होने के बावजूद बच्चों ने हिंदी में ही उत्तर लिखा। इसके अलावा भी अर्द्धवार्षिक परीक्षा के लिए आए प्रश्न पत्रों के कारण भी जिले के कई विद्यालयों के परीक्षा विभाग को परेशानी उठानी पड़ रही है।
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परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र जा रहे बाजार में
अर्धवार्षिक परीक्षा के आयोजन में भी त्रैमासिक की तरह खामियां निकल रही हैं। सूत्रों की मानें तो राज्य शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए प्रश्न पत्रों की संख्या लिफाफे के अंदर से कई स्कूलों में कम निकल रही है। इससे विद्यालयों को बड़ी संख्या में फोटो कॉपी करवाने के लिए परीक्षा के एक दो घंटे पहले ही पहुंचना पड़ रहा है। वहीं, कुछ गांवों में फोटोकॉपी मशीनें नहीं होने के कारण काफी दूर जाकर फोटोकॉपी करवाना पड़ रहा है। इससे परीक्षा की गोपनीयता तो भंग हो ही रही है साथ ही पेपर लीक होने का खतरा भी बढ़ गया है।
वहीं कुछ स्कूलों में पेपर के पैकेट के ऊपर विषय का नाम कुछ और अंदर कुछ और विषय केप्रश्न पत्र निकल रहे हैं। ज्यादातर प्रश्न पत्रों में मिस प्रिंटिंग भी है। इससे परीक्षार्थी और विद्यालय दोनों ही परेशान हो रहे हैं। हालांकि, अभी तक किसी भी स्कूल प्रबंधन ने स्कूल शिक्षा विभाग में इसकी जानकारी नहीं दी है।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार?
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद चौरगड़े का कहना है कि, अंग्रेजी माध्यम से प्रश्न पत्र में हिंदी मीडियम से लिखने पर भी सही उत्तर पर पूरे अंक मिलेंगे। प्रश्न पत्रों में इस तरह की परेशानी यदि आ रही है तो विद्यालय द्वारा प्रतिवेदन भेजना चाहिए। अभी तक उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं आई।
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