राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत डॉ. श्रीवास्तव जिला अस्पताल की दंत ओपीडी तथा स्वास्थ्य शिविर में आने वाले ऐसे मरीजों की हालत और पीड़ा देखकर चिंतित थे। खासकर ऐसी परिस्थिति जहां दुर्घटना में जबड़ों में चोट, दाढ़ों में इंफेक्शन, तबाकू सुपारी के इस्तेमाल से होनेवाली बीमारी ओरल सबयुकम फाइबोसिस मुंह के कैंसर अथवा रेडियो थेरेपी के कारण मुंह का खुलना कम हो जाता है। इस समस्या के स्थायी हल की सूझी। डॉ. श्रीवास्तव ने वर्ष 2016 से लगातार अनुसंधान किया और छह साल की मेहनत से इंस्टूमेंट को विकसित कर लिया। मेडिकल साइंस में इसके महत्व को देखते हुए इसका भारतीय पेटेंट भी करा लिया है।
बीमारी के इलाज में इस इंस्टूमेंट की उपयोगिता को देखते हुए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी द्वारा इस नोवल इंस्टूमेंट का फेस3 में क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी दे दी गई है। ट्रायल के चयनित एसडीएम डेंटल कॉलेज धारवाड़ कर्नाटक में लगभग 26 लाख रुपए की राशि का अनुदान भी मंजूर कर दिया है। इस क्लिनिकल परीक्षण को आइस एमआर के क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया का भी अनुमोदन मिल चुका है। डॉ.श्रीवास्तव के साथ दो अन्य वरिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सक भी काम करेंगे।

रिसर्च पेपर को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड
इस इंस्टूमेंट की संकल्पना के लिए अंतरराष्ट्रीय ओरल सब्युकम फाइबोसिस कॉन्फ्रेंस 2018 बड़ौदा में सर्वश्रेष्ठ रिसर्च पेपर का अवार्ड दिया गया है। एस नई दिल्ली में भी इस इंस्टूमेंट को ओरल हेल्थ इन्वोनेशन कॉन्फ्रेंस 2019 में टॉप 15 रिसर्च प्रोडक्ट का अवार्ड दिया गया है। इसके साथ ही भारत सरकार के हेल्थ इनेवोटिव प्रोडक्ट की वेबसाइट में भी शामिल किया गया है।

इंस्टूमेंट से आएंगे बेहतर रिजल्ट
डॉ. श्रीवास्तव ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि सामान्य स्तर के सौ मरीजों में मुंह न खुलने के पीड़ितों का औसत 2 है। एक स्वस्थ व्यक्ति का मुंह सामान्यत: 3 से 4 अंगुल खुलता है लेकिन इस प्री कैंसर कंडीशन में पीड़ित का मुंह दो अंगुल भी नहीं खुलता। ऐसे मरीजों को ओरल कैंसर होने की सभावना 7 गुना बढ़ जाती हैं। डॉक्टर ने कहा कि उनके द्वारा विकसित फीजियो थैरेपी डिवाइस से मुंह का खुलना क्रमश: बढ़ता जाएगा। करीब तीन से चार माह के उपयोग से बेहतर रिजल्ट आएंगे। इसके साथ ही पीड़ित को तबाकू छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। डॉ.श्रीवास्तव ने अपने अनुसंधान में मदद के लिए पीएम नरंद्र मोदी, केंद्रीय राज्यमंत्री बॉयोटेक्नालॉजी जितेन्द्र सिंह का धन्यवाद किया। उन्होंने साथी चिकित्सकों को भी ऐसे अनुसंधान के लिए प्रेरित किया। जिससे पीड़ित मानवता की सेवा हो सकेगी।