छिंदवाड़ा

environment: 200 वर्ष पुरानी हरियाली पर चली ‘विकास की आरी’, जानें वजह

दफन हो जाएगी ब्रिटिश काल की बुनियादें

छिंदवाड़ाDec 06, 2019 / 11:53 am

Dinesh Sahu

environment: 200 वर्ष पुरानी हरियाली पर चली ‘विकास की आरी’, जानें वजह

छिंदवाड़ा/ नगर में विकास की गति का पंख तो लगे है, लेकिन इसके लिए नगरवासियों को कई कुर्बानियां देनी पड़ रही है। एक ओर लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडेग़ा तो दूसरी ओर इसके निदान की व्यवस्था भी उपलब्ध रहेगी। ब्रिटिश काल के समय टीबी सेनेटोरियम परिसर में स्थित ब्रिटिश काल की कई अहम बुनियादें धराशाही हो रही है, जिसमें 200 वर्ष पुराने पेड़ हो या निर्माण सभी डिस्मेंटल किए जा रहे है।
उल्लेखनीय है कि मेडिकल कॉलेज के समय भी निर्माण एजेंसी तथा कम्पनी द्वारा दावा किया गया था कि काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए शासन की गाइडलाइन के आधार पर पांच गुना पौधे लगाए जाएंगे। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है। बता दें कि छिंदवाड़ा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस का नौ मंजिला हॉस्पिटल टीबी सेनेटोरियम परिसर सहित आसपास की जगह में स्थापित किया जाना है।
बताया जाता है कि परिसर में दो वर्ष पुराने पेड़ लगे है, जिस पर मुंबई की निर्माण कम्पनी आरी चला रही है। आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि इन पेड़ों के साथ उनका भावनात्मक सम्बंध भी स्थापित हो गया है।
कॉलेज निर्माण के समय काटे गए नहीं रोपे गए पौधे –

सिम्स कॉलेज के निर्माण के समय शासकीय निर्माण एजेंसी पीआइयू द्वारा करीब 200 पेड़ों पर आरी चलाई थी। इसमें छोटे से लेकर बड़े सभी तरह के फलदार तथा जंगली पेड़ शामिल थे, जिसके तहत एजेंसी या निर्माण कम्पनी को पांच गुना पौधे रोपने थे। लेकिन हकीकत में खानापूर्ति की गई तथा जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों ने कभी लगे हुए पौधे जीवित है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग भी नहीं की। ऐसे में फिर से अब तक 500 पेड़ों पर आरी चलाई जाना है तथा हर्जाने के तौर पर फिर पांच गुने पौधे लगाने का दावा किया जा रहा है।
31 लाख वर्गमीटर पर होगा निर्माण –

2500 बिस्तरों के मेडिकल हॉस्पिटल निर्माण के लिए करीब 31 लाख वर्गमीटर पर निर्माण किया जाएगा। हालांकि सिम्स प्रशासन द्वारा अधिगृहित भूमि 35.76 एकड़ बताई जाती है। हॉस्पिटल निर्माण में करीब 500 पेड़ों को काटा जाएगा।
रोपे जाएंगे पौधे –


सिम्स हॉस्पिटल निर्माण के लिए कांस्टे्रक्शन कार्य की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नियमानुसार पांच गुना पौधे रोपे जाएंगे। लेकिन वर्तमान में निर्माण कार्य की वजह से प्रदूषण बढ़ सकता है, जिससे पौधे मर सकते है। इसके कारण उक्त कार्य बाद में किया जाएगा। – मनोज कवलकर, प्रबंधक निर्माण कम्पनी

मिली है अनुमति –

विकास कार्य के लिए पेड़ों को काटा जा रहा है। इसके लिए अनुमति भी मिली है, लेकिन आवश्यकता वाले पेड़ों को ही काटा जाएगा तथा पांच गुना रोपने की भी योजना है।
– अविंद्र सिंह, कार्यपालन यंत्री, पीआइयू
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