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ये वन एवं प्राकृतिक संपदा, जिस पर छिंदवाड़ा को गर्व
1. मात्र तामिया-पातालकोट की घाटियों के वन और प्राकृतिक संपदा नयनाभिराम दृश्यों से भरपूर है।
2. जंगलों के बीच सुकू न देनेवाले देवगढ़, गोदड़देव, हिंगलाज मंदिर, जामसांवली, भरतादेव, कुकड़ीखापा का जलप्रपात, शंकरवन, आंचलकुण्ड, कनकधाम स्थल है।
3. तुलतुला पहाङ़, छोटा महादेव, अनहोनी, सतधारा, मुत्तोर बन्धान, ग्वालगढ़ के शैलचित्र, पाइन गार्डन, भूराभगत, जुन्नारदेव विशाला की पहली पायरी, गैलडुब्बा, बन्दरकूदनी, सल्लेवानी की घाटियां पर्यटकों को आकर्षित करती है।
4.चार साल पहले वर्ष 2017 में मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के वैज्ञानिकों ने 53 वानिकी प्रजातियों को सूचीबद्ध किया था। इनमें महुआ, तेन्दू, आचार, चिरोटा/चिरायता, कालमेघ,आम, वन तुलसी,बहेड़ा, जामुन, अर्जुन और बीजा प्रमुख है।
5.जिले की जंगली सीमा से पेंच नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बीच टाइगर का आवागमन का कारीडोर माना जाता है
6.जंगलों से ही बाघ, तेन्दुआ के अलावा पातालकोट में गिद्धों का आवास है तो वहीं हिरन, सांभर, पेंगोलिन समेत अन्य वन्य प्राणी पाए जाते हैं।
7. जंगल वनवासियों की रोजी-रोटी का भी जरिया है। लघु वनोपजों जैसे अचार गुठली, महुआ फूल, बालहर्रा, कचरिया, शहद, लाख, करंज बीज आदि का संग्रहण किया जाता है ।
8.राज्य शासन के बीती 10 जनवरी 2019 के राजपत्र में पातालकोट को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया गया है ।
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