कहीं नीले तो कहीं हरे कचरा बॉक्स गायब, कैसे मिलेगी फाइव स्टार रेटिंग
स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 का इम्तिहान अगले माह, मैदानी तैयारियां अस्त-व्यस्त

छिंदवाड़ा. स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में फाइव स्टार रेटिंग की दौड़ में शामिल नगर निगम की परीक्षा चार जनवरी के बाद कभी भी शुरू हो जाएगी। अधिकारी-कर्मचारियों ने स्वच्छता के बिंदुओं के रेकॉर्ड कागज पर तैयार कर लिए हैं, लेकिन मैदानी तैयारियों पर ध्यान देना छोड़ दिया है। इसके चलते शहर के प्रमुख मार्गों से कहीं नीले तो कहीं हरे रंग के कचरा बॉक्स गायब हो गए हैं। इसके अभाव में लोग गीला-सूखा कचरा एक साथ डाल रहे हैं। इससे स्वच्छता की मुहिम पिछड़ती नजर आ रही है। ‘पत्रिका’ टीम ने शहर की पंचशील कॉलोनी, जेल बगीचा, भाजपा कार्यालय और बस स्टैंड क्षेत्र में लगाए गए गीले-सूखे कचरा बॉक्स की मैदानी स्थिति टटोली तो दो बॉक्स में से एक बॉक्स गायब मिले।
बता दें वर्ष 2017 में नगर निगम के कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक इन कचरा बॉक्स को लगाया था। उसके बाद कभी इसकी सुध नहीं ली। इसके चलते हालात यह हो गए कि ये बॉक्स गायब हो गए। फिर क्षेत्रीय वासियों ने भी अपनी आदत बिगाड़ ली। गीला-सूखा कचरा एक साथ इस डिब्बे में डालने लगे जबकि निगम की हर कचरा गाड़ी में ये नारा आज भी प्रसारित होता है-गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डालो। इससे साफ है कि स्वच्छता सर्वेक्षण को इस साल निगम अधिकारी-कर्मचारी औपचारिक रूप से ले रहे हैं। उनकी भूमिका केवल कागजों तक सीमित हो गई है।
कभी भी आ सकती है टीम
केंद्र सरकार का शहरी विकास मंत्रालय स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू करने वाला है। अगली चार से 31 जनवरी तक होने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए शहर में किसी उत्सव की तरह तैयारियां होनी चाहिए, लेकिन सफाई की मंद चाल नगर निगम की तैयारियों पर सवाल खड़ा कर रही है। जिस फ ाइव स्टार और ओडीएफ डबल प्लस श्रेणी के लिए निगम ने आवेदन किया है उनमें स्थिति सुधारने की बजाय निगम प्रशासन जमीनी स्तर पर काम को गति नहीं दे पा रहा है।
हार के गम में डूबे पदाधिकारी
विधानसभा चुनाव में हार के बाद नगर निगम परिषद से जुड़े भाजपा के पदाधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं। हार के गम में वे स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर अफसरों से भी चर्चा नहीं करते हैं। उन्होंने शहर के सभी पार्षदों से मिलकर भी शहर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए सहयोग नहीं मांगा है। इधर, राज्य में सरकार बदलते ही निगम में तबादले शुरू हो गए हैं। कार्यपालन यंत्री एनएस बघेल के तबादले के बाद दूसरे अधिकारियों को भी अपने स्थानांतरण की चिंता सताने लगी है। वे स्वच्छता अभियान को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे हैं। इसका ही नतीजा है कि स्वच्छता सर्वेक्षण पिछड़ता नजर आ रहा है।
इनका कहना है
स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 को लेकर हमारे दस्तावेज तैयार हो गए हैं। मैदानी स्तर पर कहीं कोई कमी नजर आएगी तो उसे दूर कर देंगे। हमारा प्रयास शहर को देश में अव्वल लाना होगा।
इच्छित गढ़पाले, कमिश्नर, नगर निगम छिंदवाड़ा
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