किसानों ने आरोप लगाया कि कृषि उपज मण्डी में पिछले तीन दिन से बोर की मोटर जली होने पर किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है। वे यहां-वहां दौडक़र पानी का इंतजाम कर रहे हैं। इसके प्रति मण्डी प्रबंधन लापरवाह बना हुआ है। इसी तरह व्यापारी उपज खरीदकर उसे मण्डी शेड में लगातार रख रहे हैं लेकिन उसे खाली नहीं कर रहे हैं। इससे किसानों को अपनी उपज मण्डी के गेट तक रखनी पड़ रही है। व्यापारियों से मण्डी शेड खाली कराने में मण्डी कर्मचारियों की रुचि दिखाई नहीं दे रही है। किसानों ने यह भी बताया कि मण्डी प्रबंधन ने गेट पर भावांतर पर्ची काटने की व्यवस्था की है लेकिन उसके निकलने में आधा घंटा तक लग रहा है। किसान इसके लिए दिन भर खड़े रहकर इंतजार कर रहे हैं। मण्डी पदाधिकारियों की समझाइश पर किसान मान गए।
315 रुपए मूल्य पर उमड़े किसान
भावांतर योजना में सरकार द्वारा 315 रुपए प्रति क्विंटल का भाव दिए जाने पर किसानों का समूह कृषि उपज मण्डी में उमड़ पड़ा है। इसके चलते प्रबंधन को रात 8 बजे व्यापारियों से मक्का की नीलामी करानी पड़ रही है। कहा जा रहा है किइस माह की खरीदी पर सरकार करीब चार सौ रुपए का भावान्तर मूल्य दे सकती है। इसकी अंतिम तिथि 31 जनवरी रखी गई है। इसके चलते किसान अधिक से अधिक उपज बेचने आमादा हैं। मण्डी में हालत यह है कि ट्रकों और ट्रैक्टरों से सामान्य वाहन अंदर नहीं जा पा रहे हैं।
कृषि उपज मण्डी में इस समय 30 हजार क्विंटल मक्का की प्रतिदिन आवक है। मण्डी समिति नीलामी के साथ हर व्यवस्थाओं को लागू करने के लिए प्रयासरत हंै। किसानों से धैर्य से काम लेने के लिए कहा है।
शेषराव यादव, अध्यक्ष कृषि उपज मण्डी।