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किसान इस पद्धति से करें सोयाबीन की बोवनी, होगा बंपर उत्पादन

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 26, 2019 11:47:33 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

मानसून की अनिश्चितता को देखते हुए सलाह दे रहा कृषि विभाग

soybean bovine

Increased soybean, maize and turmeric

छिंदवाड़ा. कृषि विभाग ने जिले में मानसून की देरी को देखते हुए सोयाबीन उत्पादक किसानों को बोवनी के लिए विशेष सलाह दी है। उप संचालक कृषि ने बताया कि वैसे तो यह समय सोयाबीन की बोवनी के लिए उपयुक्त है, किन्तु फिर भी लगभग चार इंच बारिश के बाद ही किसानों को सोयाबीन की बोवनी करनी चाहिए।
उन्होंने सलाह दी है कि कृषक अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए रिजफरो पद्धति से ही बोवनी करें ताकि सूखे या अतिवर्षा के कारण उत्पादन प्रभावित न हो। सोयाबीन के लिए निर्धारित अनुपात में ही उर्वरकों का उपयोग बोवनी के समय ही करने कहा जा रहा है। सल्फर का भी उपयोग किसान कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए सीडकम फर्टि‍डिल का उपयोग करना ज्यादा बेहतर होगा। यदि मशीन उपलब्ध नहीं हो तो छिडक़ाव करना चाहिए। सोयाबीन की बोवनी के लिए कतारों की दूरी 45 सेमी रखना चाहिए और प्रति हैक्टेयर बीज दर 55 से 75 किग्रा तक रखी जानी चाहिए।
बोवनी के समय बीज उपचार करने से अधिक उपज प्राप्त होती है। बीज उपचार के लिए थायरम और कार्बोक्सिन अथवा थायरम और कार्बान्डाजिम का मिश्रण बनाकर तीन ग्राम प्रति किलोग्राम बीज को या जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा 10 ग्राम प्रति किग्रा बीज उपचारित करना चाहिए। इस प्रकार फफूंदनाशक से बीजोपचार करने से बीज से होने वाले फफूंदजनित रोगों से रोकथाम होती है। इसके बाद कल्चर और स्फुर घोलक जीवाणु दोनों पांच ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से भी टीकाकरण करना चाहिए।
मोजेक रोग से बचाएं फसल को

सोयाबीन में आने वाला मोजेक रोग बहुत हानिप्रद है और इसकी रोकथाम के लिए अनुशंसित कीटनाशक इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस को 1.2 मिली लीटर की मात्रा प्रति किलोग्राम बीज से उपचारित करने कहा जा रहा है। किसानों को सलाह दी है कि पिछले वर्षों में जहां पर सोयबीन में व्हाईट ग्रब (सफेद सूंडी) का प्रकोप हुआ था, वहां के किसानों को प्रकाश जाल या फिरोमोन ट्रेप का उपयोग करना चाहिए। बोवनी के तुरंत बाद और सोयाबीन के अंकुरण के पूर्व खरपतवार नाशक जैसे डाइक्लोसुलम 26 ग्राम प्रति हैक्टेयर या सल्फेट्राझोन 750 मिली प्रति हैक्टेयर या पेंडीमिथिलिन 3.25 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडक़ाव करना चाहिए।
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