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आज पुत्र की दीर्घायु माताएं रहेंगी निर्जला, पढ़ें पूरी खबर

locationछिंदवाड़ाPublished: Aug 21, 2019 12:08:42 am

Submitted by:

Rajendra Sharma

हलछठ का व्रत : बिना बोए अनाज-फल का सेवन करेंगी महिलाएं

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छिंदवाड़ा. भाद्रपद महीने की षष्ठी हलछठ के रूप में बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत कर विशेष पूजन करतीं हैं। यह व्रत पुत्र की दीर्घायु और अकाल मृत्यु को दूर करने के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं बिना हल के उगे अनाज, फल-सब्जी का ही सेवन करतीं हैं।
हलछठ की पूजा की सामग्री के लिए मंगलवार को शहर के बाजार में महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी। धान महुआ, पसई के चावल के साथ पूजन की अन्य सामग्रियों की दुकानें में दिनभर लगीं रहीं। देर शाम तक बाजार में भीड़ भाड़ बनी रही और इससे कई बार जाम की स्थिति बनी।
त्योहार को देखते हुए जरूरी चीजों के दाम भी आम दिनों की अपेक्षा दोगुना हो गए। प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाने वाली ककड़ी 60 रुपए किलो तक बिकी तो केले भी 40 से 60 रुपए दर्जन बिके। इस दिन विशेष रूप से उपयोग में लाए जाने वाले पसई के चावल दो सौ रुपए किलो बाजार में बिके। इसके अलावा मिट्टी के छोटे डबले, दौने और बांस की टोकरियां भी मांग ज्यादा होने के कारण महंगी बिकीं।
पुत्र के लिए रखते हैं व्रत

पुत्र की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लए हलषष्ठी का व्रत माताएं करतीं हैं। व्रतधारी महिलाएं सुबह उठकर महुआ की दातुन करती हैं। पेड़ों के फ ल, बिना बोए अनाज, भैंस का दूध व दही का सेवन किया जाता है। निर्जला व्रत रखने के उपरांत शाम को पसाई के चावल व उबले महुए का सेवन कर परायण किया जाता है। इस व्रत में हल से जोता-बोया अन्न या कोई फल नहीं खाया जाता। हलछठ में झरबेरी कांस, कुश और पलास तीनों की एक-एक डालियां एक साथ बंधी होती हैं। जमीन को लीपकर वहां पर चौक बनाया जाता है। उसके बाद हलछठ को वहीं पर लगा देते हैं।
भगवान बलभद्र का मनेगा जन्मोत्सव

हलछठ के दिन भगवान बलभद्र का जन्मदिन भी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी के दिन माता रोहिणी के गर्भ से बलराम का जन्म हुआ था। श्री बलभद्र को श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में जाना जाता है ये शेषनाग के अवतार हैं एवं ये त्रेता युग मे लक्ष्मण के रूप में प्रगट हुए थे। नागों का खेत के साथ विशेष एवं गहरा सम्बंध है। कहा जाता है कि जन्म के समय उनके हाथ में हल था और उस दिन षष्ठी तिथि थी इस कारण से इस पर्व का नाम हलधरषष्ठी या हलषष्ठी रखा गया। शहर में वर्धमान सिटी में इस मौके पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
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