दरअसल, शहर की पेयजल आपूर्ति भरतादेव फिल्टर प्लांट की दो यूनिट एवं धरमटेकरी फिल्टर प्लांट से की जाती है। तीनों ही स्थानों पर पानी को शुद्ध करने में मुख्य भूमिका एलम निभाता है। इसका स्टॉक सोमवार, 26 मई की स्थिति में नाकाफी मिला। वर्तमान में सिर्फ 11 एमएलडी के प्लांट पर गौर करें तो एलम का स्टॉक सात दिनों के लिए ही बचा है। वह भी तब, जब हाल फिलहाल तेज बारिश न हो। इसके अलावा चूने का स्टॉक भी लंबे समय से समाप्त है। वहीं ब्लीचिंग पाउडर का नया स्टॉक आने से पूरे मानसून तक पानी को कीटाणु रोधी किया जा सकेगा।
एक घंटे में 20 किलो एलम हो रहा इस्तेमाल
फिल्टर प्लांट में रॉ-वाटर से शुद्ध पेयजल बनाने के लिए कई स्तरों पर पानी को शुद्ध किया जाता है। इंटकवेल से फिल्टर प्लांट पहुंचने पर रॉ-वाटर का सामना सबसे पहले एलम से ही होता है। गर्मियों में प्रति घंटे 20 किलो की एक सिल्ली फिल्टर प्लांट में इस्तेमाल होती है। यह धीरे-धीरे पानी में घुलकर, बड़े टैंक मेंं कचरे को नीचे रोकने का काम करता है। बाद में वह पानी छह परतों के फिल्टर मीडिया से छन कर प्लांट में नीचे बने हुए टैंकों तक पहुंचता है। यहां पानी को कीटाणु रोधी बनाने के लिए ब्लीचिंग पाउडर मिलाया जाता है। यदि पहले स्तर में ही एलम से पानी की अशुद्धता रोकी न जाए तो फिल्टर मीडिया जाम होते देर नहीं लगेगी। उसे बार-बार बैक वॉश करना पड़ेगा।
बारिश हुई तो खपत हो जाएगी दोगुना
भरतादेव फिल्टर प्लांट की दो यूनिट एवं धरमटेकरी की एक यूनिट में से प्रत्येक में वर्तमान समय में प्रति घंटे 20 किलो की एक एलम सिल्ली की खपत हो रही है। 24 घंटे में करीब ढाई क्विंटल सिर्फ एक ही यूनिट में खपत है। यानी तीनों यूनिट मिलाकर करीब सात क्विंटल से अधिक खपत हो रही है। यदि झमाझम बारिश हो गई तो यह खपत दोगुनी हो जाएगी। तब एक ही यूनिट में 24 घंटे में पांच क्विंटल एलम की जरूरत पडऩे लगेगी। उसके बिना शहर को शुद्ध पेयजल सप्लाई नहीं की जा सकेगी।
एलम का पर्याप्त स्टॉक
पिछले माह एलम का ऑर्डर लाने वाली गाड़ी खराब हो गई थी। इसकी वजह से एलम की कमी हो गई, अभी एलम का पर्याप्त स्टॉक है। ब्लीचिंग पाउडर की खेप आ चुकी है। जून में मानसून के आने के पूर्व नए एलम की खेप आ जाएगी। अभिनव कुमार तिवारी, उपयंत्री निगम