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Five criminals: जीवनभर जेल में रहेंगे पांच अपराधी, इस अपराध के कारण मिली सजा

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 05, 2020 11:32:20 am

Submitted by:

babanrao pathe

फैसला न्यायालय संध्या मनोज श्रीवास्तव विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) छिन्दवाड़ा ने सुनाया, जिसके बाद आरोपियों को जेल भेज दिया गया।

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छिंदवाड़ा. चौदह साल की नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार करने वाले आरोपी मोहित, राहुल, बंटी, अमित एवं अंकित को अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा और 24 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया है। फैसला न्यायालय संध्या मनोज श्रीवास्तव विशेष न्यायाधीश (पाक्सो एक्ट) छिन्दवाड़ा ने सुनाया, जिसके बाद आरोपियों को जेल भेज दिया गया। इस मामले को जघन्यतम अपराध की श्रेणी में रखा गया था।

नाबालिग को 7 जुलाई 2018 की सुबह करीब 10.30 बजे आरोपी मोहित ने मोबाइल पर फोन करके खजरी चौक बुलाया। मोहित एवं राहुल मिले जो नाबालिग को राहुल के घर लेकर गए, उस समय राहुल के घर पर कोई नहीं था। आरोपी मोहित ने बलात्कार किया और जान से मारने कि धमकी दिया। आरोपी राहुल ने भी बलात्कार किया और दोपहर करीब 12.30 बजे आरोपी बंटी और अमित को मोहित ने फोन कर बाइक से राहुल के घर बुलाया। बाइक से पीडि़ता को आरोपी बंटी की बड़ी मां के घर लेकर गये, जहां पर आरोपी अंकित बैठा मिला। आरोपी पीडि़ता को दूसरी मंजिल लेकर गए। अंकित, अमित एवं बंटी ने बारी-बारी से बलात्कार किया। शाम करीब 4.30 बजे आरोपी बंटी ने पीडि़ता को घर से बाहर निकाल दिया। पीडि़ता ने घर पहुंचकर वारदातके सम्बंध में बताया। पीडि़ता की मां पहले ही उसके गुम होने की रिपोर्ट दर्ज करा चुकी थी। पुलिस ने बलात्कार सहित अन्य धारा में अपराध दर्ज कर विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया।

जघन्य एवं सनसनी खेज के रूप में चिन्हित

इस अपराध को जघन्य एवं सनसनी खेज के रूप में चिन्हित किया गया था। न्यायाधीश ने विचारण के दौरान आए, अभियोजन पक्ष के साक्ष्‍य एवं बचाव पक्ष के प्रस्तुत तर्को व डीएनए रिपोर्ट पर विचार करने के बाद निर्णय पारित किया। आरोपी मोहित, राहुल, बंटी, अमित एवं अंकित को भादवि की धारा 363 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376(2) एन में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 342 में 1 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए का अर्थदण्ड, धारा 506 (2) में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपए अर्थदण्ड, धारा 376 (घ) (क) में आजीवन कारावास जो शेष प्राकृत जीवनकाल तक का होगा एवं पंद्रह हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया। पीडिता के भविष्यवर्ती जीवन को विचार में रखते हुए दंप्रसं 1973 की धारा 357 (क) पीडि़त प्रतिकर योजना के अंतर्गत राज्य सरकार से प्रतिकर दिलाए जाने के भी आदेश दिए गए। प्रकरण में शासन की ओर से गोपालकृष्ण हलदार उपसंचालक अभियोजन छिन्दवाडा एवं दिनेश कुमार उइके अतिरिक्‍त जिला अभियोजन अधिकारी छिंदवाड़ा ने पैरवी की।

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