इसका लाभ निजी लैब संचालक जमकर ले रहे हंै। अस्पताल में पदस्थ कुछ डॉक्टर भी मरीजों को अपनी लैब में ब्लड जांच कराने के लिए दबाव बनाते हंै। निजी लैब में मनमानी फीस लेकर लोगों को ठगा जा रहा है। जो जांच शासकीय लैब में निशुल्क होती है, उसी जांच के मनमाने पैसे मरीजों से लिए जाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार विभाग ने कई बार पत्र लिखकर सिविल सर्जन को सूचना दी, लेकिन अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है।
निजी लैब कर्मी निकालते हैं सेम्पल
निजी लैब में ब्लड जांच का खेल लम्बे समय से चला आ रहा है। प्रतिदिन निजी लैब से कर्मचारी वार्डों में भर्ती मरीजों के ब्लड सेम्पल निकाल कर ले जाते हैं, लेकिन कोई उन्हें रोकता-टोकता नहीं है। बताया जाता है कि इसमें वार्डों में कार्यरत कर्मचारी भी सहयोग करते हैं। इसीलिए यह गतिविधि लम्बे समय से चल रही है।
शासन के निर्देश पर जिला अस्पताल में इ-हॉस्पिटल सेवा लागू करने की योजना तो बनाई जा रही है, लेकिन संसाधनों के अभाव में आए दिन समस्या हो रही है। गुरुवार को एक फिर अस्पताल का इंटरनेट सर्वर डाउन हो गया, इसके कारण मरीजों को हस्त लिखित पर्ची जारी की गई। हालांकि इस प्रक्रिया का लाभ मरीजों को मिला।