मेडिकल कॉलेज की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योति मरावी तथा डॉ. शिल्पा सहलाम ने महिला की सामान्य डिलेवरी कराई। डिलेवरी के बाद शिशु के शव को परिजन को सौंप दिया गया। डॉ. मरावी ने बताया कि डिलेवरी के दौरान बच्चा करीब सात माह का था। परिजन ने कभी भी न तो सोनोग्राफी कराई न ही कोई अन्य जांच कराई। इसी वजह से अचानक दिक्कत बढ़ गई। इसके अलावा मरीज का ब्लड प्रेशर भी बढ़ा हुआ था।
लाखों में होता है एक मामला
प्राकृतिक तौर पर गर्भ में ही शिशु का पूरी तरह से विकास होता है। उक्त प्रकरण में जुड़वा बच्चों को विकसित होना था, लेकिन प्रक्रिया पूरी न होने तथा समय पर एक-दूसरे से पृथक न होने से एक ही शरीर में चार पैर तथा चार हाथ के साथ एक ही शिशु विकसित हुआ।
डॉ. मरावी ने बताया कि सामान्यता एेसे प्रकरणों में शिशुओं की जीवित रहने की सम्भावना कम ही रहती है।