बांध के विरोध में उतरे चार गांव के ग्रामीण
छिंदवाड़ाPublished: Mar 24, 2019 05:02:43 pm
डूब क्षेत्र में आने वाले चार गांवों के ग्रामिणों ने अपनी खेतीयुक्त भूमि को बांध निर्माण के लिए देने का पुरजोर विरोध दर्ज किया है।
पगारा जलाशय में होने लगी खेती, नहर की संरचना में खामी से नहीं मिल रहा पानी
पांढुर्ना. लगभग दस वर्षों पहले जिस सीताकुंड जलाशय को शासन द्वारा डूब क्षेत्र से पॉवर लाइन गुजरने और चार गांव की बसाहट को पुनर्वास करना महंगा होने की वजह से रिजेक्ट किया था आज उसी की चर्चा मुख्यमंत्री कमलनाथ के भंदारगोंदी सभा में मांग के बाद तेज हो गई है।
दूसरी ओर डूब क्षेत्र में आने वाले चार गांवों के ग्रामिणों ने अपनी खेतीयुक्त भूमि को बांध निर्माण के लिए देने का पुरजोर विरोध दर्ज किया है।
ग्राम पंचायत गोरलीखापा के सरपंच अरूण धुर्वे ने बताया कि भंदारगोंदी में 17 मार्च को सीएम कमलनाथ की सभा में भंदारगोंदी के ग्रामीणों ने सिंचाई के लिए सीताकुंड जलाशय के निर्माण करने की मांग रखी। जिस स्थान पर इस डैम का निर्माण होना है वहां पर ग्राम भटेवाडी, सीताढाना, कोकाढाना और गोरलीखापा के ग्रामीणों की खेती है। आदिवासी समाज सहित अन्य किसान इस खेती से अपनी आजीविका चलाते है। किसानों ने कहा है कि यदि जलाशय के लिए उनकी भूमि ली जाती है तो निर्माण के पहले उनकी जलसमाधि से शासन को गुजरना होगा।
वर्ष 2008 में शासन की ओर से 20 करोड़ रुपए सीताकुंड जलाशय के लिए प्रावधान रखा था। इस जलाशय में 90 प्रतिशत आदिवासी किसानों की जमीन जाने वाली है। दस साल पहले इस जलाशय को लेकर विरोध दर्ज हुआ था पांच सालो में यहां पर टॉवर लाइन और चार गांवों की बसाहट हो गई। जिसके बाद 2013 में इसे रिजेक्ट किया गया। इसके स्थान पर डवली नाले पर 300 हे. में बिछुआसाहनी जलाशय का निर्माण किया गया जिससे अब सीताकुंड जलाशय के निर्माण पर और भी संकट छा गया है।
17 मार्च को सीएम की सभा में बांध निर्माण की मांग उठने के बाद जल संसाधन विभाग के अधिकारी ग्राम भटेवाड़ी पहुंचे थे यहां पर आदिवासी समाज ने अधिकारियों का जमकर विरोध किया। किसानों का कहना था कि हमारी खेती पर बांध निर्माण कर भंदारगोंदी का पानी नहीं पिलाने देंगे। अधिकारियों को बेरंग लौटना पड़ा।