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कुलदीपकों ने ही छीन ली रोशनी तो कैसे मनाएं दीपोत्सव

locationछिंदवाड़ाPublished: Oct 20, 2017 11:12:20 am

Submitted by:

mantosh singh

अपनों को याद कर वृद्धजनों के छलक आए आंसू…

godhuli vridh ashram diwali chhindwara

छिंदवाड़ा (दिनेश साहू) . दिवाली के दिन हम सभी सुबह से ही काफी उत्साहित रहते थे। मेरी पत्नी, माता-पिता और बेटे सभी तैयारियों में जुटे रहते थे। मैं दिवाली के पहले ही सभी की फरमाइशें पूरी कर देता था। पूरे परिवार के लिए कपड़े, मिठाइयां और खास तौर पर बच्चों के लिए उनकी पसंदीदा मिठाई और पटाखे लाना तो कभी नहीं भूलता था। जब हम एक-एक दीपक को रोशन करते थे, लगता था पूरे जहां की खुशियां मेरे दामन मेें सिमट गई है। मैंने अपने बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी फिर भी न जाने क्या कमी रह गई कि मेरे कुलदीपकों ने मेरे जीवन की रोशनी छीन ली। इसके बावजूद उनके लिए दिल से कभी भी बद्दुआ नहीं निकली। दिल तो यही चाहता है कि कुलदीपक हमारे पास आएं और कम से दिवाली पर तो घर ले चलें, लेकिन वर्षों से ये आंखें उनकी राह देखते-देखते पथरा जाती हैं, कोई नहीं आता। इसके बाद बुजुर्ग के आंसू निकल पडे़। उनके हर शब्द में असहनीय दर्द था।

ये आपबीती ऐसे वृद्धों की है जिन्होंने अपना पूरा जीवन उन बच्चों की परवरिश में लगा दिया जिनकी वजह से आज वह वृद्धाश्रम में जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर हैं। यह वृद्धाश्रम है नगरनिगम द्वारा संचालित गोधुलि वृद्धाश्रम। यहां रह रहे कई वृद्धजनों की संतानें शिक्षित, शासकीय-अशासकीय विभागों में कार्यरत और कुछ तो व्यवसायी हैं। सभी सक्षम हैं इसके बावजूद जिनकी वजह से उनका वजूद है, उन्हें ही भुला दिया है। दिवाली पर पत्रिका की टीम ने यहां रहने वाले वृद्धजनों से मुलाकात की। उनके सुख-दुख झांसा किए तो इन्होंने कहा, जब अपनी ही संतानों ने उनसे मुंह मोड़ लिया तो क्या दिवाली, क्या दीपोत्सव।


आश्रम जाने के लिए किया मजबूर
दो लडक़े हैं, लेकिन कभी मिलने नहीं आते। आश्रम में जाने के लिए हमेशा दबाव बनाते रहे, इसलिए घर छोडऩा पड़ा।
रामलखन, निवासी मांडई

खुदकुशी करने निकली थी
बीमार होने पर बहू-बेटों ने साथ रखने से इनकार कर दिया। मैं तो खुदकुशी करने निकली थी, लेकिन किसी ने यहां पहुंचा दिया।
रुकमणी सोनी, निवासी उभेगांव

नौकरीपेशा में हैं लडक़े
दो लडक़े हैं, दोनों नौकरी में हैं। मिलने नहीं आते। अब तो उनका नाम तक याद नहीं करना चाहती। आश्रम ही मेरा परिवार है।
रामप्यारी, निवासी छिंदवाड़ा

दोनों भाई रखते हैं बैर
सम्पत्ति बंटवारे को लेकर दोनों भाई (बेटे) लड़ते रहते हैं। इसकी वजह वे मुझे मानते हंै। इसलिए दोनों ही साथ नहीं रखना चाहते हैं।
फूलसिंह, निवासी परसगांव

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