आश्रम जाने के लिए किया मजबूर
दो लडक़े हैं, लेकिन कभी मिलने नहीं आते। आश्रम में जाने के लिए हमेशा दबाव बनाते रहे, इसलिए घर छोडऩा पड़ा।
रामलखन, निवासी मांडई
खुदकुशी करने निकली थी
बीमार होने पर बहू-बेटों ने साथ रखने से इनकार कर दिया। मैं तो खुदकुशी करने निकली थी, लेकिन किसी ने यहां पहुंचा दिया।
रुकमणी सोनी, निवासी उभेगांव
नौकरीपेशा में हैं लडक़े
दो लडक़े हैं, दोनों नौकरी में हैं। मिलने नहीं आते। अब तो उनका नाम तक याद नहीं करना चाहती। आश्रम ही मेरा परिवार है।
रामप्यारी, निवासी छिंदवाड़ा
दोनों भाई रखते हैं बैर
सम्पत्ति बंटवारे को लेकर दोनों भाई (बेटे) लड़ते रहते हैं। इसकी वजह वे मुझे मानते हंै। इसलिए दोनों ही साथ नहीं रखना चाहते हैं।
फूलसिंह, निवासी परसगांव