ये बात तो देश का हर एक नागरिक जानता है कि, दुनियाभर में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां विभिन्न सांस्कृतियां और धरोहरें हैं। यहां अधिकतर स्थानों पर राम को पूजा जाता है तो वहीं अंधकार का अंधकार और अहंकार का प्रतीक मानकर रावण का दहन किया जाता है। लेकिन, एकसौ पैतीस अरब की आबादी वाले इस विशाल देश में राम ही नहीं बल्कि रावण को भगवान मानने वाले संप्रदाय मौजूद हैं।
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रावण दहन के विरोध में रामायण तक जला चुके हैं आदिवासी
आपको बता दें कि, आदिवासी समाज का एक बड़ा वर्ग रावण और मेघनाथ को भगवान मानते हुए उनकी पूजा करता है। कई वर्षों से ये लोग लगातार रावण दहन पर रोक लगाने की मांग उठाते आ रहे हैं कि, रावण उनके आराध्य हैं, लिहाजा रावण दहन बंद किया जाना चाहिए। इसके पहले भी विभिन्न आदिवासी संगठनों द्वारा छिंदवाड़ा में ही रावण दहन के विरोध में रामायण तक जलाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर दहन बंद करने की मांग
इसी के तहत दशहरा से एक दिन पहले मंगलवार को छिंदवाड़ा में गोंडवाना समर्थकों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर रावण दहन की परंपरा पर रोक लगाने की मांग की हैं। उन्होंने कहा कि, रावण हमारे आराध्य है। हर साल उनका दहन किये जाने से हमारी भावनाएं आहत होती हैं। इसलिए परंपरा को जल्द ही बंद कराया जाना चाहिए।
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