पाताल पहुंचा पांढुर्ना का भू-जल स्तर
छिंदवाड़ाPublished: Mar 19, 2019 05:11:56 pm
भूमिगत जलस्तर के पाताल में पहुंचने से आने वाले दिनों में भयंकर जलसंकट का सामना करना पड़ता काता है।
पानी बेलगाड़ी, साइकिल व सिर पर ढोना पड़ रहा है
पांढुर्ना. क्षेलप्ता में जबरदस्त जल संकट की स्थिति बन रही है। भूमिगत जलस्तर के पाताल में पहुंचने से आने वाले दिनों में भयंकर जलसंकट का सामना करना पड़ता काता है। कई गांवों में भूमिगत जल स्तर पातल में पहुंच गया है। ढाई से तीन किलोमीटर दूरी तक पाइप लाइन बिछाकर गांंवों में पानी की व्यवस्था की जा रही है। बता दें कि अभी मार्च महीना ही चल रहा है भीषण गर्मी में हालात और बिगडऩे का डर है। पीएचइ विभाग के अनुसार जाम नदी के किनारे एक हजार फीट तक खुदाई के बावजूद बोर असफल हो गए हंै। पानी कहां से लाया जाए यह बड़ा मुद्दा हो गया है। गांंवों मे पानी को लेकर अभी से भयावह हालात उठप्तपन्न हो गए है। लोगों को दूर-दराज से पानी लाकर क्रप्तयास बुझानी पड़ रही है।
ग्राम चिचखेड़ में के पेयजल को लेकर हालात गंभीर हो चुके है। यहां बोर असफल हो गए हैं। अंत मे ढाई किलोमीटर पाइपलाइन बिछाकर पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है। नगर के लिए भी मोही जलाशय और मोरडोंगरी से पाइपलाइन बिछाकर पानी की आपूर्ति की जा रही है। आने वाले समय में कई अन्य गांवों मे इस तरह से पानी पहुंचाना मजबूरी बन जाएगी।
जाम नदी के किनारे 2 बोर हजार फीट खुदाई के बावजूद असफल हो गए। जामलापनी के मुंडीढाना ग्राम का सर्वेक्षण उपरांत बोर किया फिर भी हजार फीट की गहराई में असफलता ही हाथ लगी। हद तो तब हो गई जब ग्राम नरसला, भन्दारगोंदी, भुयारी में किए गए बोर में पर्याप्त पानी निकलने के तीसरे दिन ही तीनों बोर सूख गए। पीएचई द्वारा फरवरी माह से लेकर अब तक 37 बोर किए गए हैं जिसमें से 14 बोर असफल और 23 बोर में पानी निकलने के बाद कुछ ही दिनों में दम तोड़ गए। इस तरह पूरी तहसील भीषण जल संकट की चपेट में है। पीएचई विभाग की रिपोर्ट पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने एसडीएम को जल संकट से जूझ रहे लगभग 40 गांवों की सूची दी है। इन गॉंवों मे पानी की व्यवस्था करने के लिए नलकूप खनन की स्वीकृति प्रदान करने कि मांग की गई है।