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Guest Teacher: बच्चों का भविष्य संवारने वाले अतिथि शिक्षकों का भविष्य ही अधर में

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 23, 2021 11:02:50 am

Submitted by:

prabha shankar

अतिथि शिक्षक बन पढ़ा रहे बीएड-डीएड युवकों को वर्षभर से नहीं मिला रोजगार

chhindwara

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छिंदवाड़ा। शासकीय स्कूलों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षक पिछले एक साल से बेरोजगार बैठे हुए हैं, लेकिन उनकी पूछ परख न तो सरकार कर रही है और न शिक्षा विभाग। लॉकडाउन के कारण जब से स्कूल बंद हुए हैं तब से जिले ही नहीं वरन प्रदेशभर के आधे से अधिक अतिथि शिक्षकों को घर में ही बैठना पड़ गया। अतिथि शिक्षकों को बिना स्कूल गए एक रुपए भी नहीं दिए जाते। जबकि नियमित शिक्षकों को निलम्बन की अवधि में भी जीवन निर्वाह भत्त्ता दिया जाता है।
जिला अतिथि संघ के मुताबिक लॉकडाउन के बाद सिर्फ वर्ग एक के अतिथि शिक्षकों को ही काम मिला, लेकिन वर्ग दो एवं तीन वाले घर बैठ गए। इनकी संख्या जिले में करीब दो हजार और प्रदेश में 40 हजार है। मजबूरी में अब वे दूसरे कामों के माध्यम से अपना घर खर्च चला रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के समय तो उन्हें दूसरे काम भी नहीं मिले।
पढ़ाने के लिए साल 2008 से अतिथि शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई तो 12 साल में 70 हजार युवा अतिथि शिक्षक बन गए। इनकी योग्यता, बीए, बीएससी, एमए, एमएससी के साथ डीएड एवं बीएड भी होती है।
सत्र 2020-21 में हाई स्कूल -हाई सेकंडरी के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए प्रदेश भर में वर्ग 1 के 20817 एवं वर्ग दो के 10730 अतिथि शिक्षकों को लिया गया। जबकि जिले में 4200 में से 2100 अतिथि शिक्षकों को काम मिला, बाकी शिक्षक घर में ही रह गए। पीरियड के हिसाब से वर्ग एक के लिए अधिकतम 9000, वर्ग 2 के लिए 7000 और वर्ग 3 के लिए 5000 रुपए अधिकतम भुगतान किया जाता है।

त्योहार व राष्ट्रीय पर्व की नहीं मिलती राशि
अन्य शिक्षकों की तरह अतिथि शिक्षकों को राष्ट्रीय पर्व और दीपावली, दशहरा जैसे त्योहारों की भी राशि नहीं मिलती। त्योहारों में जब घर को अघिक खर्च की जरूरत पड़ती है तब उनके घर का बजट स्कूलों की छुट्टियों के कारण बिगड़ जाता है। कई बार तो एक माह में सिर्फ 15 दिन ही काम मिल पाता है। हर साल ऑनलाइन भर्ती प्रक्रिया से भर्ती की जाती है, इसमें यदि कोई और अधिक अंक वाला अतिथि शिक्षक स्कूल के लिए पहुंच जाता है तो पहले से पढ़ाने वाले को जगह नहीं मिलती। ऐसे में रोजगार के लिए घर-गांव से दूर भी जाना पड़ जाता है।
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