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यहां मिलेगा अनोखा गुरु पूर्णिमा महोत्सव, आप भी जानें

locationछिंदवाड़ाPublished: Jul 15, 2019 12:29:32 pm

Submitted by:

Rajendra Sharma

साईं मंदिर में दो दिनी मनेगा गुरु पूर्णिमा उत्सव

guru purnima

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छिंदवाड़ा. सच्चिदानंद सेवा समिति विवेकानंद कालोनी स्थित शिर्डी साईं मंदिर में गुरु पूर्णिमा पर दो दिनी आयोजन होगा। प्रथम चरण में 16 जुलाई मंगलवार को सुबह 5.30 बजे काकड़ आरती होगी। 6.30 बजे बाबा का अभिषेक पूजन होगा। दोपहर 12 बजे मध्याह्न आरती होगी। शाम चार बजे मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे। चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल और ग्रहण काल मे पूजन अर्चन,दर्शन नहीं होगा। 17 जुलाई दिन बुधवार को सुबह आरती के साथ कार्यक्रम फिर शुरू होंगे। इस दिन शाम 7 बजे से गुरुपूर्णिमा पर्व पर शहर के युवा संगीत साधकों द्वारा भजन संध्या प्रस्तुत की जाएगी। स्व शालिकराम विश्वकर्मा संगीत विद्यालय के संचालक राजेश विश्वकर्मा के निर्देशन में साईं भजनों की प्रस्तुति होगी। यह भजन संध्या रात्रि 9.30 बजे तक चलेगी। 10 बजे शेज आरती के साथ गुरुपूर्णिमा उत्सव का समापन होगा।
सुबह पांच बजे से होगा अभिषेक

शहर के जय हनुमान मंदिर श्री दादाजी साईं दरबार समिति टीबी सेनेटोरियम काम्प्लेक्स के पास गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। यहां सुबह पांच बजे से अभिषेक होगा। सुबह छह बजे पूजन होगा। सात बजे से हवन के बाद प्रसाद वितरित होगा। सुबह 11 बजे से रात आठ बजे तक महाप्रसाद का वितरण होगा। दोपहर तीन बजे से आरती के बाद भजन होंगे।
सजग स्व-साधना मंडल के भी आयोजन

सर्व जागृृति गण (सजग) परिषद के अंतर्गत अखंड देश भक्ति-जन जागृृति अभियान, सजग स्व-साधना के संयोजक कृपाशंकर के निर्देश में मंगलवार 16 जुलाई को गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। सजग कार्यालय इएलसी हॉस्टल में सुबह आठ बजे से 10 बजे तक संगोष्ठी होगी। इस मौके पर जल बचाओ-वृृक्ष लगाओ के आह्वान के साथ गली-मोहल्ले में आम नागरिकों में जागरुकता लाने प्रेरित किया जाएगा। वर्षा जल संचयन में जागृति पर कृपाशंकर यादव ने बताया कि जल संचयन -रेन वाटर हार्वेस्टिंग, जिसका उपयोग भविष्य में इस्तेमाल के लिये विभिन्न माध्यमों के इस्तेमाल के द्वारा बारिश के पानी को बचाकर रखने और एकत्र करने की एक प्रक्रिया है।
छत के ऊपर या जमीन से जहां से ये गिरता है उसी जगह पर तालाब, झील आदि मानव निर्मित या किसी प्राकृतिक संसाधनों में बारिश के पानी को इक_ा करना वर्षा जल का संचयन हैं। दो मुख्य तकनीक बारिश के पानी के संचयन का भविष्य में इस्तेमाल के लिये संग्रहण करना और जमीन से पुनर्भरण करना है। इसे खेती, पौधों पर पानी के लिये या शौच आदि के लिये उपयोग कर सकते हैं।
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